________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir वणस्मइकाइप णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे चा?, पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए 14 व्याख्या सिय पंचकिरिए // (सूत्रं 392) // [प्र०] हे भगवन् ! पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिकने आनप्राणरूपे-श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मुके ? [उ०] हे 9 शतके प्रकाशिः उमेश |गौतम! हा, पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिकने आनप्राणरूपे श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मूके. [प्र०] हे भगवन् ! पृथि11८८५॥ बीकायिक जीव अप्कायिकने आनप्राणरूपे श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मूके ? [उ.] हा, गौतम पृथिवीकायिक अप्कायिकने | 1885 // श्वासोच्छ्वामरूपे ग्रहण करे, यावद मूके. ए प्रमाणे अग्निकाय, वायुकायिक अने वनस्पतिकायिकसंबन्धे प्रश्नो करवा. [प्र.] हे भगवन् ! अकायिक जीव पृथिवीकायिकने आनप्राणरूपे-श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मुके? [उ०] एरीते पूर्व प्रमाणे जाणवु. [प्र०] हे भगवन् ! अप्कायिक जीव अप्कायिकने आनप्रणरूपे--श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मूक ? (उ०] पूर्व प्रमाणे जाण. ए प्रमाणे तेजःकाय, वायुकाय अने वनस्पतिकाय संबन्धे पण जाणवं. [प्र. हे भगवन् ! अग्निकायिक जीव पृथिवीकायिकने आनप्राणरूपे श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करे अने मूक ? ए प्रमाणे यावत् [H0] हे भगवन् ! वनस्पतिकायिक जीव वनस्पतिकायिकने आनप्राणरूपे-श्वासोच्छवासरूपे ग्रहण करे अने मुके ? [उ०] उत्तर पूर्ववत् जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! पृथिवीकायिक जीव पृथिवी कायिकने आनप्राणरूपे-श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करतो अने मृकतो केटली क्रियावाळो होय ? [उ.] डे गौतम ! ते कदाच प्रणक्रिFयावाळो, कदाच चारक्रियावाळो अने कदाच पांचक्रियावाळो होय. [10] हे भगवन् ! पृथिवीकायिक जीव अप्कायिकने आनप्राण रूपे-श्वासोच्छ्वासरूपे ग्रहण करतो (केटली क्रियावाळो होय !) [उ.] इत्यादि पूर्व प्रमाणे जाणवू, ए प्रमाणे यावद् वनस्पति For Private and Personal Use Only