________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir & काले अने ते समये चंपा नामे नगरी हती, वर्णन. पूर्णभद्र चैत्य हतुं. वर्णन. यावत् पृथिवीशिलापट्ट हतो. हवे अन्य कोइ दिवसे ते ब्याख्या- जमालि अनगार पांचसो साधुओना परिवारनी साये अनुक्रमे विहार करता, एक गामथी बीजे गाम जता ज्या श्रावस्ती नामे नगरी||९ शतके 1 2, अने ज्या कोष्ठक चैत्य छ त्यां आवे छे. त्या आवीने यथायोग्य अवग्रहने ग्रहण करीने संयम अने तपवहे आत्माने भावित उद्देशा N869 // 4aa करवा करता विहरे छे. त्यारवाद अन्य कोई दिवसे श्रमण भगवान महावीर अनुक्रमे विचरता यावत् मुखपूर्वक विहार करता ज्यां चंपा- & 869 // | नगरी छे, अने ज्यां पूर्णभद्र चैत्य छे त्यां आवे छे आवीने यथायोग्य अवग्रहने ग्रहण करी संयम अने तपबडे आत्माने भावित | करता विचरे छे. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्म तेहिं अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि | य तुच्छेहि य कालाइतेहि य पमाणाइतेहि य सीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया कयावि सरीरगंसि विउले रोगातके पाउम्भूए उज्जले विउले पगाढे ककसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे दु रहियासे पित्तज्जरपरिगतसरीरे दाहवकंतिए यावि विहरइ / तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सहावेइ सहावेत्ता एवं क्यासी-तुझे ण देवाणुप्पिया। मम सेजामथारगं संधरेह, तए णं ते समणा णिग्गंधा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं विणएणं पडिसुणेति पडिसुणेत्ताजमालिस्स अणगारस्स सेज्जासंथारगं संथरेंति, तए णं से जमाली अणगारे बलियतरं वेदणाए अभिभूए समाणे दोचंपि समणे निग्गंथे सहावेह 3 त्ता दोचंपि एवं | वयासी-ममन्नं देवाणुप्यिासेिनासंथारए किं कडेकजही,एवं वुत्ते समाणे समणा निग्गंथा बिति-भो सामी! कीरह, For Private and Personal Use Only