________________ Shri Maha Jain Aadhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandir व्यास्यावाति 1067 है परिवतों अने कार्मणपुद्गलपरिवर्ती सर्वत्र एकथी मांडीने अनन्तसुधी कडेवा. मनःपुद्गलपरिचर्चा वधा पंचेन्द्रियोमा एकथी आरंभी #I(अनन्त सुधी) कहेवा. ते (मनःपुद्गलपरिवतों विकलेन्द्रियोमा नथी. वचनपुद्गलपरिवों पण ए प्रमाणे जाणवा; परन्तु श तके | विशेष ए छे के ते एकेन्द्रिय जीवोमां नथी. श्वासोच्चामपुद्गलपरिवतों बधा जीवोमां पकथी मांडीने वधारे जाणवा; यावद् उका 12 // 1067 वैमानिकने वैमानिकपणामां कहेवु. Paa नेरइयाण भंते! नेरहयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल परियहा अतीया?, नथि एकोवि, केवइया 4 पुरेक्वहा !, नथि एकोवि, एवं जाव धणियकुमारत्ते, पुढविकाइयत्त पुच्छा, गोयमा ! अणंता, केवइया पुरेक्व डा?, अणना, गवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते एवं जाव वेमाणियस्म वेमाणि गत्ते, एवं मत्तचि पोग्गलपरियहा भाणियब्वा, जस्थ अस्थि तत्थ अतीपावि पुरेक्खडावि अणता भाणियब्बा, 8| जय नस्थि तस्य दोवि नत्थि भाणियब्या जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया आणापाशुपोग्गलपरिया | अतीया, अर्णता, केवतिया पुरेवडा?, अणता (सूत्रं 146) (प्र०) हे भगवन् ! नैरयिकोने नैरयिकपणामां केटला औदारिकपुद्गलपरिवों व्यतीत घया छ ? (उ.) एक पण व्यतीत थयेल नथी. (प्र०) केटला थवाना के ? (उ०) एक पण थवानो नथी. ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमारपणामां जाणवू. (प्र०) पृथिवीकायिकपणामा प्रश्न. ( नैरयिकोने पृथिवीकायिकपणामां केटला औदारिकपुद्गलपरिवों व्यतीत थया छे ?) (उ०) अनन्ता व्यतीत थया छे. (प्र०) केटला थवाना छे ? (उ०) अनन्ता थवाना के.ए प्रमाणे यावत्-मनुष्यपणामां जाणवू. तथा जेम नैरयिक CHECK For Private and Personal use only