________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ११शतके उद्देश१० // 968 // देवो वडे ओळंगायेल-गमन करायेल-क्षेत्र वधारे छे, पण नहि ओळंगायेलु-नाहि गमन करायेलु क्षेत्र वधारे नथी. गमन करायेला क्षेत्रथी नहि गमन करायेलु क्षेत्र असंख्यातमा भागे छे. अने नहि गमन करायेला क्षेत्रथी गमन करायेलं क्षेत्र असंख्यात गुण छे. व्याख्या / हे गौतम! लोक केटलो मोटो को छे, प्रज्ञप्तिः // 968 // अलोए भंते : केमहालए पन्नत्त?, गोयमा! अयन्नं समयखेत्त पणयालीस जोयणसयसहस्साई आयामवि- पाखंभेण जहा बदए जाव परिक्ववेण, तेग कालेण तेण समएणं दस देवा महिड्डिया तहेव जाव संपरिक्वित्तार्ण संचिट्ठज्जा, अहे थे अट्ट दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ अट्ट बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पब्वयस्स च उसुवि दिसासु चउमुवि विदिसासु बहियाभिमुहीओ ठिचा अट्ट बलिपिंडे गहाच माणुसुत्तरस्स पब्वयस्स जमगसमगं बहियाभिमुहीओ पक्षिवेजा, पभू णं गोयमा! तओ एगमेगे देवे ते अह वलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते ण गोयमा! देवा ताए उचिहाए जाव देवगईए लोगसि ठिच्चा असम्भावपट्टवणाए एगे देवे पुरच्छाभिमुहे पयाए एगे देवे दाहिणपुरच्छाभिमुहे पयाए एवं जाव उत्तरपुरच्छाभिमुहे एगे देवे उड्डाभिमुहे एगे। | देवे अहोभिमहे पयाए, तेणं कालेण तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारण पयाए, तए णं तस्स दारगस्म अम्मा-12 पियरो पहीणा भवंति नो चेवणं ते देवा अलोयंत संपाउणति, तं चेव०, तेसिणं देवाणं किं गए बहुए अगए| बहुए ?, गोयमा! नो गए बहुए, अगए बहुए, गधाउ से अगएं अणंतगुणे अगयाउ से गए अणंतभागे, अलोग काणं गोपमा! महालए पन्नत्ते / / (सूचं 421) / SCRECRk For Private and Personal Use Only