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(४०) जिनेश्वर ॥६॥ प्रजुजी अरस्वामी मलिनाथजी, सहियां मुनिसुवृतजीमनाय ॥ जिनेश्वर० ॥ ७॥ प्रजुजी नमीनाथ श्रीपाश्वनाथजी, सहियां सबका दर्शन पाय ।। जिनेश्वर ॥ ७॥ प्रजुजी वीसाही दिन २ जिनवरा, सहियां मोद सिधाये श्राप ॥ ॥ जिनेश्वर ॥ ए॥ प्रनुजी समेतशिखर श्रेणि मोदकी, सहियां फरस्यां ही काटे पाप॥ जिनेश्वर० ॥ १० ॥ प्रजुजी श्राज पूजन दिन पांमियो, सहियां श्राईमहोत्सव होत ॥ जिनेश्वर० ॥ ११ ॥ प्रनु गोमी पारस बजे तखतपे, सहियां अटलजागरही जोत ॥ जिनेश्वर ॥१२॥ प्रनुजी वार शनित विनवे सहियां तेज कवि करजोड ॥ जिनेश्वर ॥ १३ ॥ इति पद संपूर्णम् ॥
॥ देशी उपर पराण एचान॥ ___ शतरद पूजा रचीजी मिलगावत भविजन साथ । अब मुऊ दरशन दीजो सांवराजी॥१॥ए यांकणि । निरमल नीर पदालकेजी, अंगलोवत मधुरे हाथ ॥ अब० ॥२॥ केशर चंदन चरचियाजी. फिर वरग कटोरी कोर ॥ अब ॥ ३॥ अंगी रचाई प्रेमसुंजी, कर धूपनकी घमघोर ॥ अब० ॥ ४ ॥
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