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(३ए ) एलो। शाम समे नित जाय मंदिरमें, जक्ति नावना नावांएलो ॥ सहस्र० ॥॥ दीनवचन श्राधी न पणेसो, श्रीजिनराजमनावाएलो । अष्टमहोत्सवआनंद अधिको, तालमृदंग वजावांएलो॥ सहस्त्र० ॥७॥ श्रीगोमीपारस प्रनु थारे, चरना शीश नमावांएलो । सेवक तेज कवि करजोमे, वार वार यश गावांएलो ॥ सहस्र ॥॥ इति पद संपूर्णम् ॥ देशी गेटी पणीहारी अवलूरी रंगतमें।
प्रतुजी सोनारो सूरज उगीयो, सहियां समेत शिखर पर श्राज जिनेश्वर, परतवीसांभेटिया ॥१॥ प्रजुजी अजितनाथ संनवस्वामी, सदियां अनिनंदन महाराज । जिनेश्वर परतक्ष वीसाइ. ॥२॥ प्रजुजीसुमतिनाथ पद्म प्रजु, सदियां सुपार्श्वजिनराज ॥ जिनेश्वर परत६०॥३॥ प्रजुजी चंदा प्रजुजी श्री सुबुधिजी, सहियां शीतल नाथ सारे काज ॥ जिनेश्वर परतद वीसा ॥४॥प्रनु जी श्री श्रेयांसजी श्रीविमलजी, सहियां अनत नाथ धर्मनाथ ॥ जिनेश्वर ॥५॥ प्रजुजी शांति नाथ कुंथुनाथजी, सहियां ध्याउं के जोमी हाथ ॥
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