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विषय-सूची
प्रथम अधिकार
मंगलाचरण, चौबीस तीर्थकरोंको स्तुति, गौतमस्वामी, सुधर्मस्वामी और जम्बूस्वामीका स्मरण, तथा उनके पश्चात् होनेवाले पांचों श्रुतकेवलियों, श्रुत-परम्परावाले और पश्चाद्
वर्ती कुन्दकुन्दादि आचार्योंका स्मरण, वक्ता और श्रोताओंका वर्णन । द्वितीय अधिकार
जम्बूद्वीप और उसके विदेह क्षेत्रका वर्णन, भगवान महावीरके पुरूरवा भीलसे लेकर १४ प्रधान भवों और त्रस-स्थावर-सम्बन्धी असंख्यात क्षद्रभवोंका वर्णन तथा मिथ्यात्वके महान दुष्फलका वर्णन।
८-१८
तृतीय अधिकार
.... १९-२९ स्थावर ब्राह्मणके पन्द्रहवें गणनीय भवसे लेकर त्रिपृष्ठनारायण तकके चार गणनीय भवोंका
तथा नरकके दुःखोंका विस्तृत वर्णन । चतुर्थ अधिकार
३०-३९ त्रिपृष्ठनारायणके मरकर सातवें नरकमें उत्पन्न होनेवाले नारकीके बीसवें भवसे लेकर
हरिषेण राजा तकके ७ भवोंका वर्णन । पंचम अधिकार
४०-५० हरिषेणके मरण कर स्वर्ग में उत्पन्न होनेके अट्ठाईसवें भवसे लेकर नन्दराजा तकके इकतीसवें
भवका निरूपण । षष्ठ अधिकार
नन्दराजाका प्रोष्ठिल मुनिके उपदेशसे जिनदीक्षा लेना, षोडश कारण भावनाओंके द्वारा तीर्थकर प्रकृतिका बन्ध करना और समाधिमरणकर सोलहवें स्वर्गमें उत्पन्न होना और वहाँके इन्द्र
विभूतिका विस्तृत वर्णन। सप्तम अधिकार
६४-७२ कुण्डलपुरका वर्णन, वहाँके राजा सिद्धार्थका और महारानी त्रिशला-प्रियकारिणीका वर्णन, भगवान् महावीरके गर्भावतरणसे छह मास पूर्व सिद्धार्थनरेशके यहाँ रत्न-वर्षा होना, त्रिशला देवीका सोलह स्वप्न देखना, सिद्धार्थनरेशसे उनका फल पुछना और उत्तर सुनकर आनन्दित होना, भगवान् महावीरका गर्भ में आना, इन्द्र द्वारा गर्भकल्याणक मनाना।
अष्टम अधिकार
७३-८२ छप्पन कुमारिका देवियोंके द्वारा जिनमाताकी नाना प्रकारको परिचर्या द्वारा सेवा करना, देवियोंके प्रश्न और जिनमाताके उत्तर, भगवान महावीरका जन्म; सौधर्मेन्द्रका एवं अन्य देवी-देवताओंका आगमन और अभिषेकके लिए भगवानको सुमेरुपर ले जाना ।
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