________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पहिला हिम्मा
किसी पानी के हाज़ के कनारे ऊंची जगह पर चढ़कर गलाया हुआ सीसा च ननो में डालते हैं वह छनकर मेह को बंद मा हवा में गोल गोल छरी बन जाता है। और पानी के हाज़ में गिरते हो ठंढा हो कर वैसे का वैसा रह जाता है । फिर हाज़ से निकाल लेते हैं। और बंदूक पिस्तौल चलाने के काम में लाते हैं।
दमरा हिस्सा शागिद-आप ने तो ज़मान पर बहुत चीजें बतलायौं । लेकिन जो जमीन हमारे देखने में आती है उस पर तो वह नहीं दिखलाई देती ॥ ___ उस्ताद-ज़मोन तुमने शायद उतनी ही समझ रक्खी है। जितनी तुमने या तुम्हारे गांव वालों ने देखी है ॥ यह नहीं जानते कि कितने ही गांव ऐसे ऐसे एक एक परगने में और कितने ही परगने एक एक ज़िल में और कितने ही जित्नऽ एक एक मुलक में बसे हैं । और फिर जितने ही मुलक कोई बड़े कोई छोटे इस ज़मीन के परदे पर पड़े हैं ॥ एक इसी मुलक हिन्दुस्तान को देखा कहां से कहां तक फैला है। उत्तर में बदरीनाथ दक्खन में सेतबंधगमेखर परब में जगन्नाथ और पच्छम में द्वारका ने गाया इप्स को घेर रक्खा है ॥ इन के बीच में द्रविड़ तैलंग कीटक महागष्ट गुजरात मालवा बुंदेलखंड मारवाड़ ब्रज पंजाब अंतरवेद मगध बंगाला उड़ीसा वगैग: उम के बड़े बड़े हिस्से हैं । जिन्हों ने इन ऊपर लिखे हुए चारों तभी की यात्रा की वे नादानों को समझ में बिलक पृथ्वी की परिक्रमा कर आये हैं ॥ तुम यकीन माना कि यह सारा हिन्दुस्तान भो इस जमीन का निरा एक छोटा
For Private and Personal Use Only