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बिद्यांकुर
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कुतुबनुमा बना । और टेलिग्राफ यानी तार पर ख़बर भेजने का सिलसिला जमा ॥ क्योंकि दो जगह कुतुबनुमा की मइयां रख कर और उन के बीच में एक तार लगाकर जब उस तार को कल की बिजली से भरते हैं वह मइयां परब पच्छम और जब ख़ाली करते हैं उत्तर दक्वन रहा करती हैं। और यह ठहरा लिया गया है कि इतनी दफा इस तरफ का सूइयों के हटने से यह हर्फ मानना चाहिये जैसे एक दफा उत्तर और एक दफ़ा पच्छाम हटने से (अ) और दो दफा उत्तर और दो दफ़ा पच्छम हटने से (आ) यस अब इस तार के वमीले से जो ख़बरें भेजना चाहो बहुत आसानी के साथ दुनया के एक कनारे से दूसरे कनारे तक आन की आन में पहुंच सकती हैं। __तांबे से पैसे और लोटे कटोरे वगैरः बरतन और बहुत चीजें वनती हैं। हिन्दु तांबे चौर सोने को मन धातों से पाक समझते हैं और तांबा और लोहा यह दोनों धात बड़ी कड़ी
आंच से गलती है। ___ तांबे के बरतन में या कांसे पीतल के बरतन में जो तांबे के मेल से बनते हैं खाने की कोई खट्री चीज़ कभी न रखनी चाहिये । क्योंकि तांबे में खटाई लगते ही ज़हर पैदा हो जाता है ऐसी चीज़ कभी न खानी चाहिये । इसी लिये लोग तांबे के बरतनों में कलई कराते हैं । तांबा जस्ता मिलाकर पीतल और तांबा रांगा मिलाकर कांसा बनाते हैं । - रांगा जस्ता सीसा बड़ी नर्म धात हैं। ज़रासी आंचसे गल जालो हैं। सोसे को गालियां और छरें बंदक के लिये बनाते हैं । और इंगलिस्तान में मकानों को छत बनाने के काम में भी लाते हैं। क्योंकि यह हवा पानी से नहीं बिगड़ता और न इस में मोर्चा लगता है। लेकिन वहां छरी भी एक नयी तर्काव से बनता है ।
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