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विचारपोथी
६७४.
कृष्णने गाय बचाई । बुद्धने बकरी बचानेका प्रयत्न किया ।
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६७५
'यथेच्छसि तथा कुरु' कहनेके बाद फिर 'मामेकं शरणं व्रज' है ही । स्वतन्त्रता संयमका वरण करे, इसमें स्वारस्य है । ६७६ भक्ति - नियत संयम । मुक्ति - स्वैर संयम |
६७७
वाद चार हैं :
कर्म में अकर्म, ज्ञानका सगुण लक्षण है। अकर्म में कर्म, ज्ञानका निर्गुण लक्षण है ।
६७८
(१) दंभवाद, (२) प्रज्ञानवाद, (३) भावार्थवाद, (४) यथार्थवाद |
६७६
मरते वक्त कंबलपर सुलाते हैं । जीवनमें यदि गरीबी न रही हो, तो कम से कम मरणमें तो रहने दो !
६८०
साम्राज्यवाद याने संपत्ति, सत्ता और संस्कृतिकी श्रासक्ति । ६८१
'भक्त ऐसे जागा जे देहीं उदास' देहके प्रति उदासीन हैं, तुकाराम )
(भक्त ऐसोंको जानो जो हरएक प्रश्न के एक
देह होती है और एक आत्मा । भक्त देहके प्रति स्वाभाविक रूपसे ही उदासीन रहता है ।
६८२
सद्गुरु - जिनका 'अस्तित्व' श्रद्धेय है ।
चिद्गुरु - जिनका 'ज्ञान' परमार्थ- मंडलमें प्रतीत होता है । जगद्गुरु --- जिनका कार्य सबपर प्रकट है ।
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