________________ तिवल्लभाः॥ 64 // यथावश्यकवस्त्रादिनधृत्वानृपमंदिरं / / तदीयानवयांत्येवमत्राप्येतत्रयविना॥६५॥ वैष्णवानांचिन्हा मलपंडमालाचकंठगा // लोकानांलक्षणंकिंचिद्राजसंबंधिनामिव // 66 // गुरुपदेशमादायतस्माद्भूत्वासुवैष्णवाः // धृत्वा चस्वामिचिन्हानिसेवंतांसंततंहरि॥ 67 // पूर्णानंदमयंयद्ब्रह्मपरंसर्वदेवसेवध्वं // बुत्थ्यध्वंस्थिरमनसातद्वदादिमनिरंतराभ्या सात् // 68 // इतिश्रीमद्वल्लभाचार्यमतवर्तिश्रीवजवल्लाचरणानुचरपंचनदीघनश्यामजदात्मजगोवर्द्धनशीघकविविरचि तिवेदांतचितामणौनांस्तिक्योच्छेदकशास्त्रार्थसंग्रहाख्यंप्रथमप्रकरणं // 1 // // // // // // // शाब्दमेवप्रमाणंस्यात्परोक्षब्रह्मनिश्चये // अलौकिकंस्वतंत्रंचसाक्षात्तत्प्रतिपादकम् // 1 // वेदाःश्रीकृष्णवाक्यानिव्यास 1 सूत्राणिचैवहि // समाधिज्ञाषाव्यासस्यप्रमाणंतच्चतुष्टयं // 2 // उत्तरपूर्वसंदेहवारकंपरिकीत्तितं // अविरुद्धंतुयत्त्वस्य। माणंतच्चनान्यथा // 3 // एतद्विरुद्धंयत्सर्वनतन्मानंकथंचन // इत्युक्तमाचार्यपादैःप्रमाणानांविनिर्णये // 4 // स्वस्वरू पहिबोधार्थवेदेष्वेवनिरूपितं // सगादीनांप्रकाराश्वभक्तिर्मक्तिश्चवर्णिता // 5 // परोक्षाचित्यरूपंयद्विस्पष्टसाधनंफलं // तस्तैरेवजानीयायामोहितबुद्धयः // 6 // वेदास्तेस्वात्मकास्तेनोपदिष्टाब्रह्मणेपुरा // तेनर्षिभ्यःस्व शिष्येभ्यस्तैस्तैःस्वेभ्यश्वद शिताः / / 7 / / एवंपरंपराप्राप्ताआम्नायाभगवन्मयाः // (स्कंध६) वेदोनारायणःसाक्षात्स्वयंभूरितिशुश्रुम ॥८॥श्वेताश्व / / / तरेयोब्रह्माणंविदधातिपूर्वयोवैवेदांश्चप्रहिणोतितस्म।। तहदेवमात्मबुद्धिप्रकाशंमुमुक्षुर्वैशरणमहंप्रपद्ये।। ९॥(स्कंध११)का 1 श्रीभागवत ܕܪܐܝܛܟܐ ܡܝܢܓܛܓܕܝ ܚܞ