________________ वे- चिलेननष्टाप्रलयेवाणीयंवेदसंज्ञिता // मयादौब्रह्मणेप्रोक्ताधर्मोयस्यांमदात्मकः // 10 // श्रुतिभागवतादौतत्स्पष्टमेवावगम्य / प्र.२ त // बहुप्रकारैर्बोधार्थतत्रब्रह्मैवरूप्यते // 11 // नारायणपरावेदाइतिज्ञागवतादिषु // वेदैश्चसर्वैरहमेववेद्यइतिहिस्मृतिः॥ // 12 // तत्रावशिष्टंहरिणाविरक्तायार्जुनायतत् // तथातदधिकारेणस्मृतिरूपेणरूपितं // 13 // सूत्रेयरूपत्वंवाक्य / शेषत्वमुच्यते // वेदोऽपिब्रह्मवाक्साक्षातंत्रस्यादेववेदता ॥१४॥पायेगीतामाहात्म्ये॥ गीतासुगीताकर्तव्याकिमन्यैःशास्त्र विस्तरैः // यास्वयंपद्मनाभस्यमुखपद्माद्विनिर्गता // 15 // वेदस्यदु यार्थत्वाच्छास्त्रसंदेहवारकं // व्यासेनाविष्कृतंसूत्र मयंब्रह्मनिरूपकं // 16 // तच्छिष्योजैमिनिरपिवेदैर्धर्मव्यचारयत् / / एवंकलमोहिवेदार्थोमीमांसातोवसीयते॥१७॥व्या सोनिर्णीतवान्ब्रह्मस्वरूपंसाधनंफलं // श्रुतितःस्मृतितःशास्त्रेन्यषेधत्तदसंमतं॥ 18 // ब्रह्मसूत्रपदैश्चैवहेतुमद्भिर्विनिश्चितैः // प्रामाण्यमितिगीतासुतस्यभागवतेऽपिच // 19 // (स्कंध 1) जिज्ञा सतंसुसंपन्नमपितेमहदद्भुतम् // जिज्ञासितमधीतंच यत्तद्ब्रह्मसनातनम् // 20 // भारतेऽदाशवेदार्थःपुराणैरपिकैश्वन // सूत्रकर्त्तस्तथाप्यात्मानात्यतुष्ययदातदा // २१॥ना / स्मैनारदवारद्वारोपदिष्टायसमाधितः / भगवान्दर्शयामासरूपंजागवतात्मकं // 22 // यथापश्यत्तथैवाविश्वकाराक्षरशो खिलं // श्रीभागवतरूपस्त्वंप्रत्यक्षःकणएवहि // 23 // इतिपाझेस्फुटंज्ञानावतारोबादरायणः // समतुष्यत्तदाकण्णदश 3 1 श्रुतिस्मृतिरूपत्वं 2 वेदवाक्यशेषत्वंगीतायाः 3 ईश्वरवाचि 4 अथातोब्रह्मजिज्ञासत्यादिचतुरध्यायं 5 प्रथमेध्याये 6 तृतीयेध्याये 7 चतु 2 8 दितीये 9 श्रुतिस्मृत्यसंमतंसांख्यादिमतं" अत्रस।विसर्गश्चस्थानपोषणमूतयइत्याद्यादश आदिशब्दादधिकारोज्ञानंच