SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीसार सुब // 8 // मिकंपेण वारवईमज्के कोलाहलो जाउ / तमउपसुहं जाणिकण कराउ संखं मुच्चइ / बाहिं नी- सन / वासुदेवो चिहणसीहासणं कंपश्एणं कंपियो / तं संखनायं सुच्चा रामेण सह तब आगन। बाहुमोडणकीमाए ज्वे कराहनेमिजिणा लग्गा // नेमिजिणेण कएहवाहुदंमं कमलमिव नामियं / है| कएहेण नेमिबाहुमोझे बहु विक्कमो को पुणो वज्ज व अनम्मो जान / 'हालकुं' श्य बोत्तूण कएहो मोश्च / पलान चलिन / सश्चरे गन। करदो बलनदेण सह लच्छोदेवया घरे गंतूण आलोवइ / लबीदेवयावयणाज नेमिजिणो चरमो देहो जान | जग्गसेणनिवधूया राश्नई करणा कएहण जाश्या / पाणिग्गहण सव्यरिविहिं परिवरित नेमिजिणो तोरणमागन / पसूयवाम दहण | सव्वपसुसमूहं मोएऊणं गयंदं वानिकण संवच्छरिदाणं दाऊण सव्वरिद्विहिं परिवरिन बारवर नयरीए मऊ मळणं निग्गच्छ / 2 अहियारो कहिन // // संखेवेण सिरिगुणनिहाणसूरोणं कए कहा कहिया इति * वसुदेवहिएमी' कथा सार समाप्ता // For Private and Personal Use Only
SR No.020880
Book TitleVasudevhindi Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeerchand Prabhudas Pandit
PublisherIshvarlal Keshavlal Shah
Publication Year1917
Total Pages24
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy