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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir 15 उवे हणिया तन पछा महामंवहिन कंसो मंचान अहोमिनाए पामिऊण कण्हेण हणिन | सवत्य कोलाहल कलकलो य जान सवोविं लोगो पिलिका नग्गसेणनिवं कठपंजरान निकासिऊण पट्टे गविन वसुदेवाश्या तत्थ सव्वे मिलिया कंसमयकज्जं करेंति त जीवजसा महारोसानला जाया जरासिंधपासं गया रोयंतीए सव्वं कहियं जामेयमरणं सोनण अइसरोसो निवो जान महुरान सव्वे जायवा सोरोपुरमागया।सवे एगत्थ मिलिया ।समुद्दविजयस्स रणो नबंगे रामकएहा निवेसिया । सचे तत्थ चिति नग्गसेणेण सच्च नामा कएहस्स दत्ता॥ इन्य जरासिंधेण सोमको समुद्दविजयं पश् पेसियो । “जेहिं मे जामाश्कंसो मारिज, ते रामकिएहा गोवालिया पेसिया” । एवं कहियं । सवेहिं जायज्विकुमारेहिं हकिउ । “अह्माणं कंसेण बनाया मारिया । एगकंसो हणिन"। तज्जिन संतो सोमयन जरासंधपासं गउ । चनगु वुत्तं । महारोसानलेण समग्गदलसहिन कालयकुमरो पेसिन । एयावयाए समुद्द विजयपमुहेहिं कोन पुछिन । " जरासंधनयाज कहं चिठस्सेइ" । तेण वुत्तं । “तुह्माणं घणोदए नविस्त । अहुणा पछिमसमुद्द पश् वच्चह" | पहा अधारसकुलकोमी जायवा चलिया। ल For Private and Personal Use Only
SR No.020880
Book TitleVasudevhindi Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeerchand Prabhudas Pandit
PublisherIshvarlal Keshavlal Shah
Publication Year1917
Total Pages24
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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