________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३४)
स्वमाध्याय। पश्यति ॥ स सत्वरं यमभटैः क्षयं नेनीयते नरः ॥९६॥ जम्बीरतुम्बीकालिङ्गतुण्डीकर्कटिकाश्च यः॥प्रेक्षते खादति स्वप्ने म्रियते सोऽचिरान्नरः ॥ ९७ ॥ नीवारान्कोरदूषांश्च वीहीन्मुद्ान्यवांस्तिलान् ॥ कुलत्थान्यो भक्षयति वीक्षते वा स दुःखभाक् ॥ ९८ ॥ अम्लतिक्तकटुक्षारकषायाः स्वादिता यदि ॥ स्वप्ने तस्य भवेद्धानिः सर्वतोऽपि न संशयः ॥ ९९ ॥ शरीरमांसमन्त्राणि नखान्त्राणि च यो नरः ॥ स्वप्ने खादति तस्याङ्गनाशः सद्यः प्रजायते ॥१०॥ खर्जुरीगुडहिंगुनिर्यासान्यश्च खादति ॥ स्वप्ने स यमराजस्य दूतैर्ननीयते द्रुतम् ॥ १०१ ॥ शैवाललिप्तं स्वं देहं मासमात्रं प्रपश्यति ॥ यः स्वग्ने स क्षयी भूत्वा मृत्युभूयाय कल्पते ॥१०२॥ कांस्यारकूटकथिल ताम्रलोहत्रपूणि यः ॥ लभते प्रेक्षते वाथ निर्धनत्वमियाद्धि सः ॥ १०३॥ करवालं कुठारं च कुद्दालं फालकुन्तलौ ॥ मुद्गरं करपत्रं च यः पश्यति स नश्यति ॥१०४॥ संमार्ज
नी घट्टिका च स्थाली मुसलमेव च ॥ स्वप्ने दृष्टिपथं यायाजभारीनिंबू रामतुरई विम्बाफल कालिंगी ( साग ) विशेष ककडीको जो पुरुष स्वप्नमें देखताहै खाताहै वह शीघ्र मरता है ॥ ९७ ॥ जो पुरुष मुनिअन्न कोदों धान मूंग जौ तिल कुलत्थ (कु लथी ) को खाताहै अथवा देखताहै वह दुखी होताहै ॥ ९८ ॥ जो आमला तीखा कडवा खारी कसीले पदार्थको स्वप्नमें खाय उसकी निःसंदेह सबओरसे हानि होतीहै ॥ ९९ ॥ जो पुरुष स्वप्नमें शरीरके मांसको आँतोको वा नखूनसे मिलीहुई आंतोको खाताहै वह मृत्युको पाताहै ।। १०० ।। जो पुरुष खजूरका वृक्ष गुडहींग गोंदको खाताहै उसकी मृत्युहोतीहै ॥१०१॥ जो शेवालसे लिप्त अपना शरीर महीने भरतक देखताहै वह पुरुष क्षयको प्राप्तहो मरताहै ॥१०२॥ कांसी पीतल कथिल तांबा लोहा रांग इनको देखताहै वा पाताहै वह निर्धन होताहै ॥ १०३ ॥ तलवार कुहाडी हल हलका अग्रभाग वा वरछी मुद्गर आरा जो देखनाहै उसका नाश होताहै ॥ १०४ ॥ जिस पुरुषको स्वप्नमें बुहारी बटलोई थाली मूसल दखेिं बह मृत्युपावै ।।
For Private And Personal Use Only