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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्ववेष्टिते यात्राप्रकरणम्। (४८१) बलेन वामो यदि नीयते श्वा कष्टात्तदाल्पं विदधाति लाभम्तारोऽथवा वामगतिर्भयेन श्वानर्थमर्थं च करोति यातुः।। ॥ १९९ ॥ घुरघुरारवमुच्चरति क्रुधाभषति यो भषणो भयतोऽथवा ॥ भ्रमति वाऽथ मृषैव यतस्ततो ध्रुवमसौ विदधाति धनक्षयम् ॥२००॥ खनन्धरित्रीमसुखावहः स्याल्लोलन्पुनः स्यादनिवृत्तिहेतुः॥धुन्वञ्च्छिरश्चौरभयं करोति व्यात्ताननस्त्वीहितकार्यनाशम् ॥२०१॥ आघ्राय पृष्ठे दशनैर्नखैर्वा वस्त्रं विकर्षन्विदधात्यनर्थम् ॥ तथाऽविधोऽग्रे यदि सारमेयः प्रवासिनां तत्कुरुतेऽर्थलाभम् ।। २०२॥ ॥टीका॥ श्वानः पुरस्तात्तारा व्रजति तदा पथि चौरभीतिः स्यात् ॥१९८॥ बलेनेति ॥ यदि श्वा बलेन बलात्कारेण वामः नीयते तदा कष्टात् अल्पलाभं विदधाति । अथवा भयेन तारः वामगतिश्च श्वा भवति तदा यातुः अनर्थमर्थं च करोति ॥ १९९ ॥ घुरघुरेति ॥ क्रुधा घुरघुरारवं यः उच्चरति अथवा यःभयतः भषणी भषति । अथ मृङ्गव मिथ्यैव यतस्ततः भ्रमति । असौ श्वानः ध्रुवं धनक्षयं विदधाति॥२०॥ खननिति ॥धरित्री खननसुखावहः स्यात् । लोलन्पुनः अनिवृत्तिहेतुः अप्रत्यागमनं. कारणं स्यात् । शिरो मस्तकं धुन्वंश्चौरभयं करोति व्यात्ताननस्तु विस्फाटित. वस्तु ईहितकार्यनाशं करोति ॥ २०१ ॥ आवायेति ॥ श्वा पृष्ठे आवाय द ॥ भाषा॥ क्त होय रहे होय वे श्वान अगाडी ते जेमने चले जाय तो मार्गमें चीरको भय होय ॥ ॥ १९८ ॥ बलेनेति ॥ जो श्वान बलात्कारतूं वामभागमें चल्यो जाय तो कष्टसू अल्प लाभ करै. अथवा भय करके जेमने भागमें वा वांये भागमें श्वान आय जाय तो गमनकर्ताक अनर्थरूप अर्थ करे ॥ १९९ ॥ घुरघुरेति ॥ क्रोधकरके घुरघुर शब्द उच्चारण करे अथवा भयमूं भूसे अथवा वृथा इतको इत भ्रमतो होय वो श्वान निश्चय धनको क्षय करे ॥ २०० ॥ खननिति ॥ पृथ्वी खोदतो होय तो दुःखकू कर. चलतो होय तो दुःख करे. मस्तक हलावतो होय तो चौरको भय करे. और मुख फाडतो होय तो वांछित कार्यको नाश करै ॥ २०१॥ आवायेति ॥ श्वान पीठमें सूंघ करके दांत नखः इन करके वस्त्रकं खैचतो होय तो अनर्थ करे, जो श्वान अगाडीकू ऐसो होय तो वो गमन कर्ता For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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