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( १८६) वसंतराजशाकुने-सप्तमो वर्गः।
ध्रुवं सुतोऽस्या भवितेति पृष्ठे योषापि तारा सुतजन्महेतुः॥ कन्या भवित्रीति तु पृच्छयमाने प्रदक्षिणे पुंस्यपि कन्यका स्यात् ॥ २७७॥ पुंनामानं पादपं पांडवी चेत्तारा भूत्वा रोहति स्यात्सुतस्तत् ॥ स्त्रीनामानं पादपं पुंस्खगश्चत्तारा भूत्वारोहति स्यात्सुता तत् ॥ २७८॥ प्रदक्षिणीभूय नपुंसकाख्यं तारा यदारोहति यद्यकस्मात् ।। खगः खगी वाप्यथ गर्भिणी तन्नपुंसकाख्यं जनयत्यपत्यम् ॥ २७९ ॥ कन्या भवेचेद्विहगी सुचेष्टा स्यादात्मजश्चेद्विहगः सुचेष्टः॥ चेष्टाप्रदीप्ता प्रतिलोमयानाद्गर्भस्य पित्रोरंथवा क्षयाय ॥२८० ॥
॥टीका ॥ षिति दक्षिणायां सत्यां स्त्रिया जन्म स्यात् । द्वये दक्षिणगे दयस्य जन्म भवति ॥ ॥२७६॥ ध्रुवमिति ध्रुवं सुतोऽस्याभविता इति पृष्टे योषापि तारामुतजन्महेतुर्भवति कन्याभवित्री इतिपृछ्यमानपुंस्यपिप्रदक्षिणे कन्यका स्यात् ॥२७७॥ पुनामानमिति पांडवी चेत्तारा भूत्वा पुनामानं पादपमारोहति तदा सुतः स्यात् पुंखगश्चत्तारो भूत्वा स्त्रीनामानं पादपंमारोहति तदा सुता स्यात्।।२७८॥प्रदक्षिणीति ॥ यदिखगः खगी वा प्रदक्षिणीभूयनपुंसकाख्यं तरुमकस्मात्समारोहति तदाभिणी नपुंसकाख्यं सुतं जनयति॥२७९||कन्यति॥ कन्या भवेच्चदिहगीसुचेष्टा स्यात् । चेदिहगः मुचेष्टः तदात्मजः स्याता यदि चेष्टा प्रदीप्ता प्रतिलोमयानाद्भवति तदा गर्भस्य अथवा पित्रोः
॥भाषा ॥
तो पुत्रको जन्म होय और स्त्री जो पोदकी दक्षिणभागमें आय जाय तो कन्याको जन्म होय. जो युगल दोनों दक्षिणभागमें आवे तो पुत्र कन्या दोनोंनको जन्म कहनो ॥ २७६ ॥ ध्रुवमिति ॥ याके पुत्र निश्चय होयगो ऐसो प्रश्नकरै तो स्त्री जो पोदकी भी ताराहोय तो पुत्रजन्म होय याके कन्या होयगी ऐसो प्रश्न करै तो पुरुषभी प्रदक्षिणभागमें होय तोभी कन्या होय ॥ २७७ ॥ पुत्रामानमिति ॥ पांडवी तारा होय करके पुरुषनामके वृक्षपै चढ जाय तो पुत्र होय और जो पुरुषपक्षी ताराहोयकरके स्त्रीनामके वृक्षपे चढ जाय तो कन्या होय ॥ ॥ २७८ ॥ प्रदक्षिणीति ॥ जो खग वा खगी दक्षिणावर्ती होय करके अकस्मात् नपुंसक नाम वृक्षपै चढजाएँ तो गर्भिणी नपुंसक पुत्र प्रगट करै ॥ २७९ ॥ कन्येति ॥ पोदीकी शुभचेष्टा होय तो कन्या होय और विहगांचेष्टा शुभ होय. तो पुत्र होय. जो
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