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पोदकीरते स्वरप्रकरणम् । (१७९) पुंसः कुमारीवरणाय तारा प्रशस्यते वामगतिविरुद्धा॥ स्त्रियाश्च पत्युवरणाय वामा श्यामा-प्रशस्ता नतु यानुलोमा । ॥२५०॥ पाणिग्रहप्रश्रविधिप्रसंगे दुर्गायुगं गच्छति दक्षिणं चेत् ॥ परस्परं सौहृवृद्धिभाजःस्त्रीपुंसयोस्तदिवसाःप्रयांति ॥२५१॥ मध्याद्दयोः शोभनचेष्टयोर्यः प्रभूतचेष्टो यदि वोनतस्थः ॥ खगः खगी वा वरकन्ययोः स आत्मीयपक्षे कुरुते प्रभुत्वम् ॥२५२॥ खगी खगस्याशनदायिनी चेत्तदा पतिः स्त्रीधनमाददाति ॥ खगोऽशनं यच्छति चेद्विहंग्यै ददाति वित्तं पुरुषः स्त्रियै तत् ॥ २५३॥
॥टीका ॥ वाहार्थ पतेः परीक्षामाचक्ष्महे ॥ २४९ ॥ पुंस इति ॥ कुमारीवरणाय पुंसः प्रश्ने तारा प्रशस्यते वामगतिविरुद्धाभवति । पत्युवरणाय स्त्रियाः प्रश्ने वामा श्यामा प्र. शस्ता न त्वनुलोमा ।। २५० ॥ पाणीति ॥ पाणिग्रहप्रश्नविधिप्रसंगे चेदुर्गायुगं दक्षिगं गच्छति तदा स्त्रीपुंसयोर्दिवसाः परस्परं सौहदवृद्धिभाजः प्रयाति ॥२५॥ मध्यादिति ॥ द्वयोः पूर्वोक्तयोर्मध्यायः कश्चिखगः खगी वा शोभनचेष्टया याति यदि वा प्रभूतचेष्टो भवति उन्नतस्थो भवति तदा वरकन्ययोर्मध्ये स आत्मीयपक्षे प्रभुत्वं कुरुते ॥ २५२ ॥ खगीति ॥ यदि खगी खगस्याशनदायिनी स्यात् तदा पतिः स्त्रीधनमाददाति ॥ चेत्खगः विहंग्या अशनं यच्छति तदा पुरुषः स्त्रियैः धनं
॥भाषा ॥ विवाहके अर्थ पतिकी परीक्षा कहेहैं ॥ २४९ ॥ पुंस इति ॥ कन्याके वरबेके अर्थ पुरुषकू शकुनमें तारा होय तो शुभ है. जो वामगति होय तो विरुद्ध होय. और पतिके घरबेके लिये स्त्रीकू प्रश्नमें वामा शुभ है अनुलोमा निषेध है ॥ २९० ॥ पाणीति ॥ पाणिग्रहण करबेके शकुनविधिमें जो पोदकीको जोडा दाक्षणमांऊ गमन करे तो स्त्रीपुरुषके दिवस परस्पर स्नेहकी वृद्धिपूर्वक व्यतीत होय ॥ २५१ ॥ मध्यादिति ॥ पूर्व कहे जो २ दोनों जोडा जोडी उनमेंसू जो कोई पक्षी पुरुष वा पक्षिणी स्त्री ये सुदर चेष्टा करते होंय. और ऊंचे पै बेठे होय जो पोदकी पुरुषके ये शकुन होय तो वर प्रभुताई करे. और जो पक्षिणीको शकुन ऐसो होय तो स्त्रीकू प्रभुता होय ॥ २५२ ॥ खगीति ॥ जो पक्षिणी पुरुष पक्षीकू भोजन देरही होय तो पति स्त्रीको धन ग्रहण करे. और जो पक्षी पक्षिणीकू भोजन
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