________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RESUNGARORRORKORKERRORMORRORRORSURANUARY // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 10 // महामुनिं // तृषार्तमूर्छितंश्रांतंकृपांचक्रेनपाधमः // 56 // ब्रह्मपत्रैस्तुसंवीज्यकृत्वाचातपवारणं // मनेर्जग्राहशिरसिह्यलांबुस्थंजलंददौ // 57 // // ल लब्धसंज्ञोऽभवत्तेनसूपचारेणवैमुनिः // तत छत्रंक्षत्रदत्तंगृहीत्वागतविक्लमः / // 58 // ग्रामंकंचिच्छनैःप्राप्यकिंचिदाप्योयितेंद्रियः // तेनपुण्यप्रभावण शब्रह्महत्याशतत्रयं // 59 // विनष्टमभवत्तस्यक्षणादेवमहात्मनः // ततोविस्मयमापन्नोहेमकांतोमहारथः॥६०॥ बहुधापीड्यमानस्यब्रह्महत्याइमाःक-15 थं // केनाप्यनिष्कृताह्येताःक्वगता केनहेतुना // 61 // इत्येवंचिंतयामासनमहत्याविमोचनं // एवंचावस्थितेराज्ञियमदूताअथागमन् // 62 // नेतुमे 1 पलाशपत्रैः / 2 तुंबीफलस्थितं / 3 गतमूर्छः / 4 सुखितगात्रः / Bानाहान्टामान्याला For Private and Personal Use Only