________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 22 SPIROERRORKERRORAOORORISEASORRORRORRORISOLAN // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 7 // यासर्वतीर्थावगाहः // 33 // दत्तंनानंमासिवैशाखसंज्ञेलोभाद्भिक्षामात्रमप्यंगंकाले // शोचाम्यहंप्राप्यपैशाचयोनिनान्योहेतुःसत्यमेवोक्तमंग॥ 34 ॥पुसत्रोऽधुनावर्ततेमदृहेचभूरिख्यातिःश्रुतदेवेतिसंज्ञः // वाच्यातस्मैमद्दशाचात्मजायवैशाखेऽन्नादानतोऽभूत्पिशाचः॥ 35 // दृष्टस्तीरेतेपितानर्मदायानो Is गत्वावर्ततेवृक्षमूले // खादन्मांसंस्वीयमेवानुखिद्यन्पितुर्मुक्त्यैमासिवैशाखसं-12 ज्ञ॥ 36 // प्रातःस्नात्वापूजयित्वाचविष्णुनिर्व्याजान्मांतर्पयित्वातिलैश्च // देयंचान्नंद्विजवर्यायमांमुक्तीयोनेर्यामिविष्णोःपदंच // 37 // इत्थंचोक्तंत्वत्पुरस्तादेतिदयाचैषामत्कृतेनात्रशंका // क्षेमभयात्सर्वतोमंगलंतेश्रुत्वाचा 1 अंगेत्यामंत्रणे / 2 शुद्धभावेन / // For Private and Personal Use Only