________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - -- - - - ॥वैशाखमाहात्म्य अध्याय 15 // यापिसेविताः // 9 // तेनारिभिर्ध्वस्तपरायलक्ष्मीर्वनंप्रविष्टःस्वगुरूअहं स्मरन् // स्मृतीचौमांसमुपेत्यदुःखात्संबोधयांचक्रतुरातबंधू // 10 // वैशाखधर्मेःश्रुतिचोदितैःशुभैःस्वर्गापवर्गादिपुमर्थहेतुभिः // तद्बोधतोऽहंकृतवान्समस्तान्शुभावहान्माधवमासधर्मान् // 11 // तस्मादभून्मेपरमःप्रसा-US दस्तेनाखिलाःसंपदऊर्जिताइमाः // नाग्निर्नसूर्योनचचंद्रतारकानभूर्जलंखं / म श्वसनोऽथवाङ्मनः // 12 // उपासितास्तेपिहरंत्यघंचिराद्विपश्चितोन्नति आ मुहूर्तसेवया // यन्मन्यसेत्वंभजतोऽपिभूरिशस्त्यतैषणांस्त्वत्पदन्यस्तचित्ता- // छन् // 13 // नमःस्वतंत्रायविचित्रकर्मणेनमःपरस्मैसदनग्रहाय // त्वन्मा DISORRONOUNDROREONE 1 श्रेष्ठसंपत् / 2 वायुः / 3 त्यक्तसंगान् / இலைலைலைலைலை For Private and Personal Use Only