________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PORRORRUARURREARRAMORRORSMORRORKILOM // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 15 // ययामोहितोऽहंगुणेषुदारार्थरूपेषुभ्रमाम्यनर्थदृक् // 14 // त्वत्पादपद्मंसू. तिमूलनाशनंसमस्तपापापहरंसुनिर्मलं // सुखेच्छयाऽनर्थनिदानभूतैःसुतामदारैर्ममताभियुक्तः // 15 // नक्वापिनिद्रांनलभेचशर्मप्रवृद्धतर्षःपुनरेव / तस्मिन् // लब्ध्वादुरापनरदेहजन्मत्वयत्नतःसर्वपुमर्थहेतुं // 16 // पदा-15 रविंदंनभजामिदेवसंमूढचेताविषयेषुलालसः // करोमिकर्माणिसुनिष्ठितःसअन्प्रवृद्धतर्षस्तदपेक्षयादहन् // 17 // पुनश्चभूयामहमद्यभूयामित्येवचिंताशितलोलमानसः॥यदैवजीवस्यभवेत्कृपाविभोदुरंतशक्तेस्तवविश्वमूर्तेः॥१८॥ समागमःस्यान्महतांहिपुंसांभवांबुधिर्येनहिगोष्पदायते // सत्संगमोदेवयदै 1 गोष्पदमात्रइव भवति / सुतरत्वादिति भावः / / बटcowseryालामाल For Private and Personal Use Only