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(६४) रसराज महोदधि ।
काढा. कटैली गिलोय वांसा इन्होंका काढ़ा बनाय पीनेसे श्वास, कास, ज्वर छर्दैि अम्लपित्त ये नाश होय.
अथ लक्ष्मीविलास तेल. इलायची चंदन रासना लाख कपूर कंकोल नागरमोथा बलिया दालचीनी दारुहल्दी पिपली अगर तगर जटामासी कूट ये सब दवा सम भागले और सब दवासे तिगुनी रालले पीछे इन सबोंका डमरू यंत्रसे तेल निकालिले इस तेलका शरीरमें मालिश करनेसे शिरसे पाँवतकके रोग हरै और इस तेलके मालिश करनेसे राजाओंसे मुलाकात होतीहै.
हरतार रस बनानेको फकीरकी बूटी.
स्नान करिके मंत्र जपके अच्छे दिन असगन्धको उखाड़ि लावै उसकी लुगदीमें हरताल तबकी रखके मुलतानी मिट्टीसे कपड़मिट करके सुखावे फिर पाँचसेर बिनुवा कण्डोंमें फूंकि देय एक आँचमें भस्म सफेद होय इस रसके खानेसे सर्व कुष्ट जायँ लोक प्रसिद्ध होय और त्यागी भक्त मनुष्य कै. शंखिया मारन विधि फकीरकी बताई हुई. कालाशंखिया ५ तोले लेके दोसेर आकके दूधमें.
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