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रसराज महोदधि। (६३)
अमृतादि काढ़ा. गिलोय हल्दी नीव धनियां धमासा इन्होंका अलग अलग काढ़ा बनाय पीनेसे शीतपित्त नाश होय और पहिले शीत पित्त रोगीको सात रोज मुजिस पिलावै तब दवा करै.
अथ अम्लपित्तका लक्षण. अन्न पचै नहीं कडुई खट्टी डकारे आवें शरीर भारी रहै हिया और कंठमें दाह होय भोजनमें अरुचि हो ये लक्षण अम्ल पित्तके जानो.
अम्ल पित्तकी दवा. गिलोय चीता नींव कडू परवर इन्होंका काढ़ा बनाय शहद मिलाय पीनेसे अम्लपित्त नाश होय.
मधु पीपली योग. पीपलका चूर्ण करि शहदमें मिलाय चाटनेसे अम्लपित्त दूर होय.
_पुनः अम्ल पित्तकी दवा. चिरायता नींब त्रिफला कडूपरवर बांसा गिलोय पित्तपापड़ाभाँगराइन्होंका काढ़ाबनाय शहद मिलाय पीनेसे अम्लपित्त नाश होय.
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