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(१४) रसराज महोदधि । हुआ सो आठ प्रकार ज्वरसे सैकरों ज्वर हैं जो लिखने योग्य नहीं. आठ प्रकारके ज्वरोंको अलग२ लिखते हैं सातज्वर १ पित्तज्वर २ कफज्वर ३ वातपित्त ज्वर ४ वातकफज्वर ५ कफपित्तज्वर ६ सन्निपात ज्वर ७ आगंतुकज्वर ८ यही आठ प्रकारके ज्वर हैं.
अथ वातज्वरलक्षण. शरीर काँपै, कभी शरीर जलै, कभी कम होना,गल ओठ मुखका सूखना निद्रा न आना छींक न आना अंगमें रुखाई शिर हृदय व देहभरमें पीडा मुख फीका बहुत कडा दस्त होना,पेटकी पीडा पेट फूलना जंभाई आना ये सब वातज्वरके लक्षण हैं.
अथ वातज्वरकी दवा. सोंठि चिरायता नागरमोथा गिलोय इन्होंका काढ़ा करि देइ तो वातज्वर दूर होय.
गुडच्यादि काढा. गिलोय, छोटी पीपली जटामासी सोंठि इन्होंका काढा करिदेय तो वातज्वर जाय. यहीसुब्यादि काढाहै.
(भैरवरस) बचनाग विष सोंठि पिपली मिरच रक्त आक सब बराबर लेय अदरखके रसमें खल करिके दे वातज्वर तत्काल दूर होय.
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