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रसराज महोदधि। (१५) पित्तज्वरका लक्षण दवा. नेत्रमें दाह होय, मुँह करुवा होय पियास बहुत लगै भवर छुटै बकै शिर गरम रहै, मल पतला उतरे, वमन होय, नींद न लगै, मुख सूखै और पाकि जाय पसीना आवै, नेत्र मूत्र मल पियर होय ये लक्षण जेहि पुरुष के होय तो पित्तज्वर जानो.
अथ पित्तज्वरका काढ़ा. धमासा बांसा कटुकी पित्तपापडा मालकांगुणी चिरायता इन्होंका काढ़ा बनाय मिसिरी डारि पिये तो पित्तज्वर दाहसहित नाश होय.
( पुनःकाढ़ा) गिलोय नागरमोथा धनियाँ मुलहटी चिरायता इन्हों का काढ़ा तृषा शूल अरुचि छर्दि पित्तज्वरको दूरकरैहै.
अथ कफज्वर लक्षण दवा.. अन्नकी अरुचि होय, शरीर भारी होय, मूत्र नेत्र नख सफेद होय, नोंद घनी आवै, शरीरमें ठंढी होय मुँह मीठा होय दस्त न उतरै आलस्य आवै, श्वास खांसी होय ये लक्षण कफज्वरके हैं.
कफज्वरपर त्रिफलादि चूर्ण. त्रिफला पिपली चूर्ण करि शहतके साथ चाटै तो कफज्वर श्वास खांसी दूर होय.
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