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रसराज महोदधि ।
( १०६)
और पसीना आवै डकार खराब आवैं ये सब रोग होयँ तो पित्तोदरका लक्षण जानो. अथ कफोदरका लक्षण ३
जिसके शरीर में पीड़ा होय और बहुत सोवै शरीर में सूजनहो सब शरीर भारी रहे हिया दूखे भोजन में अरुचि हो देर में पचै शरीर ठंढा रहै पेट बोला करै ये सब लक्षण कफोदरके हैं. सन्निपातोदरलक्षण ४. खराब जिसके खानेसे उदरमें नानाप्रकार के रोग पैदा होते हैं, मूर्छा, मोह, पांडु, शोष, तृषा, हो तो सन्निपातोदरका लक्षण जानो. अथ लीहोदरका लक्षण द
अथ
गरम वस्तु के खाने पीने से दुष्ट रुधिरसे कफके जोरसे लीहाको बढ़ावैहै पीछे बढ़ा प्लीहा बाई पसुली में रोग और तिल्लीको उत्पन्न करे है इस रोग में मनुष्य पीडित होयके बहुत दुःख पाता है || मन्दाग्नि, जीर्णज्वर, कफ, पित्त उपजै बल जाता रहै शरीर पांडु वर्णहोजाय ये लक्षण प्लीहोदरके जानो.
अथ मलबंध से यकृतोदर लक्षण, दहिनी पासुके नीचे और नाभिके ऊपर मांस कापिंड सरीखा विकार उपजै तिसे यकृत रोग
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