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१०४) रसराज महोदधि। तोला. अजवाइन दो तोला. काली जीरी सवा दो तोला ये सब दवा एक हंडीमें भरके गजपुट आँचदेजब भस्म होय तो चाररत्ती पानके साथ खाय तो श्वास खाँसी दमा इत्यादिक सब रोग दूर होय.
अथ उदररोगका वर्णन . उदररोग ८ प्रकारका है सो लिखतेहैं मंदामिवालेक निश्चय होय और अजीर्णसे खराब वस्तुके खानेसे वात पित्त कफके कोपसे उदररोग उत्पन्न होताहै सो अलग अलग लिखते हैं वातका १ पित्तका २ कफका ३ सन्निपातका ४ प्लीहाका ५ मलबंधका ६ चोट लगनेका ७ जलोदर ८ ऐसे आठ प्रकारकेहैं अब अलग २ लक्षण सुनो.
. अथ बातोदर लक्षण १. जिस पुरुषके हाथ पैर नाभिमें सूजनहोय कुक्षि पशुली कटि पीठी संधिमें पीड़ा होय और सूखा खांसे शरीर भारी रहै मल उतर नहीं शरीर की खाल नख नेत्र काले पड़ जावै पेटमें पीड़ा और अफरा हो पेट बोलाकरे ये लक्षण वातोदरकेहैं.
अथ पित्तोदर लक्षण २. ज्वर मूर्छा दाह तृषा होवै. मुख कडुवाहो, शिर घूमरे, अतीसार हो, शरीरकी खाल पीली हरी होय
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