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(९४) रसराज महोदपि । रोग हरै ब्राह्मनी होय तो गायके मूत्रमें घिस सात रोज आजै तो सब रोग दूर होय. और फूली होय तो शहदमें घिस आजै तो पन्द्रह दिनमें फूली अच्छी होय. और नाखूनके वास्ते अदरखके रसमें घिसि
आंजे तो अठारह दिनमें दुःख दूर होय. और जो कमती देखाता होय तो बासी पानीमें षिसिके ऑजे तो बाईस दिनमें अच्छी होय.
३ तथा. मैनशिल, जीरा, पीपरि, धमासा, मिश्री, सफेद नीबोल, सांपकी केंचुल ये सब दवा बराबर लेकर कूट कपड़छान करके करेलीके रसकी तीन पुट दे पीछे भुंगराजके रसमें तीन पुट दे फिर खूब खलकरके
घुची प्रमाण गोली बांध छायामें सुखावे जो कोई नींबूके रसमें गोली चिसि एक आंखिमें आजै तो एक अंगका ज्वर जाय और दोनों आँखोंमें आँजे तो शरीर भरेका वर जाय और जो गूगलकी एक गोली का धूप देय तो भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी लगी हो तो सब शूटि जायँ.
४ तथा. शुद्ध खपरिया, सेंधानोन, शुद्धनीलाथोथा, शुद्ध सोहागा, सोंठि, मिरच, पीपरि, यह सब चीजें एकमें
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