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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के बाद फ्रेंच भाषा के माध्यम से जैनिज्म को प्रचारित एवं प्रसारित करने का निर्णय लिया। इनके अनेक आलेख ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली जैन स्प्रिट में प्रकाशित हुए हैं। 1998 में इनकी पहली फ्रेंच अनुवाद 'भगवान् महावीरः ऐतिहासिक सन्दर्भो में प्रकाशित हई और उसी वर्ष इन्होंने विलास संगवे की जैनधर्म विषयक पुस्तक का भी फ्रेंच अनुवाद प्रकाशित किया। 2003 में इनकी पहली पुस्तक जैनिज्म पर भारत से प्रकाशित हुई। तत्त्वार्थ सूत्र, समयसार और नियमसार पर भी अपने कुछ व्याख्यान फ्रेंच भाषा में दिये है। मैडम प्रो. डॉ. कैया एवं प्रो. डॉ. नलिनी बलवीर सारवोन यूनीवर्सिटी में जैनधर्म पढ़ाती इटली में जैनधर्म __ इटली की प्रसिद्ध पोप सिंगर क्लाउडिया प्रेस्टोरिनो जैनधर्म के प्रति बहुत आकर्षित हुई व उन्होंने पूरा जीवन जैनधर्म और साधना को समर्पित कर दिया। क्लाउडिया का जन्म जिनेवा में हुआ और उन्होंने अनेक पुस्तकें जैनधर्म पर इतालवी भाषा में लिखीं। इन्होंने प्राकृत भाषा भी सीखी है और समणसुत्तं का इतालवी भाषा में अनुवाद भी किया है। वे जानवरों के अधिकार पर काम करती हैं और पूरी तरह शाकाहार का पालन करती ग्रीस में जैनधर्म डिमिट्रिस जी. एफ. जैन का जन्म ग्रीस के परम रूढ़िवादी क्रिश्चियन परिवार में हुआ और इसके बावजूद उन्होंने क्रिश्चियन धर्म का अनुपालन दार्शनिक कारणों से नहीं किया। बाद में जो जीवन पद्धति अपनाई, उन्हें लगा कि वह तो जैनधर्म-दर्शन के अत्यधिक नजदीक है और फिर वे उसी के अध्ययन-मनन में जुट गये। ये सम्भवतः ग्रीस में अकेले जैन हैं, जो ग्रीक, अंग्रेजी और हिन्दी भाषाएँ जानते हैं तथा Vegan जैनधर्म का अनुपालन करते हैं। ___ यूरोप के जैनधर्म के परिचय से ऐसा लगता है कि यूरोप में जैनधर्म के सूत्र केवल भारतीय मूल के जैनों के हाथ में ही नहीं, बल्कि यूरोपियन मूल के जैनों के हाथ में भी 748 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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