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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कपासी। यूनाइटेड किंगडम के कुछ जैन संगठन निम्न नामों से भी संचालित हैं__ 1. ऐडेन वेनिक एसोशियेशन ऑव यू. के., 6 केल्विन ऐवेन्यू, पॉमर्स ग्रीन, लन्दन, एन-13 4-टी जी, 020 8292 0938 2. श्री दिगम्बर जैन एसोशियेशन 1, दि ब्राडवे, वील्डस्टोन, हैरो मिडलसेक्स एच-ए-37-ई-एच www.sdja.co.uk ___3. इन्टरनेशनल महावीर जैन मिशन, 25 सनी गार्डेन, हेन्डन, लन्दन एन डब्ल्यू-4020 8203 1634 ___ 4. इन्स्टीट्यूट ऑव जैनोलॉजी, मिस्टर आर. पी. चन्दरिया, 23 रेडनोर प्लेस लन्दन, डब्ल्यू -2 2-टी-जी-020 7723 2323 ___5. जैन समाज यूरोप, जैन सेन्टर, 32 आक्सफोर्ड स्ट्रीट, लीसेस्टर एल-ई-15 एक्स यू-0116 254 1150 6. जैन समाज मैनचेस्टर, जैन कम्युनिटी सेन्टर, 669 स्टॉकपोर्ट रोड, लांग साइट, मैनचेस्टर एम-12 7. जैन विश्व भारती, सेयर सेन्टर ऑक्सगेट लेन, लन्दन, एन-डब्ल्यू-2 7-जेएन-020 8452 0913 8. महावीर फाउंडेशन, डॉ. विनोद कपासी-11 लिंडसे ड्राइव, केन्टन, मिडलसेक्स एच-ए-3 0-टी-ए-020 8204 2871 बेल्जियम में जैनधर्म बेल्जियम के जैन प्रमुखतः हीरे के व्यवसायी हैं। इनकी संख्या लगभग 1500 के आसपास है और इनमें से अधिकांश एन्टवर्प में रहते हैं तथा हीरे के थोक व्यवसाय में संलग्न हैं । इन्होंने विल्रिज्क (Wilrijk) एन्टवर्प के समीप बहुत ही सुन्दर जैन मन्दिर व सांस्कृतिक केन्द्र विकसित किया है। इनके आध्यात्मिक प्रमुख हैं - श्री रमेश मेहता, जिन्होंने 17 दिसम्बर, 2009 को बेल्जियम के धार्मिक प्रमुखों की परिषद स्थापित की। ___बेल्जियम में जैन सांस्कृतिक केन्द्र, लार स्ट्रीट 34, 2610 विल्लिज्क वेल्जियम में है। जर्मनी में जैनधर्म जर्मनी में जैनधर्म का इतिहास व परम्परा बहुत प्राचीन है, जिसका प्रारम्भिक उल्लेख प्रो. हर्मन जैकोबी, वेबर, अल्सडॉफ, ग्लेसन-अप, ब्रून, बोले आदि विद्वानों के शोध से मिलता है। डॉ. चार्लोते क्रूस जैनिज्म से इतनी अधिक प्रभावित हुईं कि उन्होंने जैनिज्म को हृदय से ही अपना लिया। वे लम्बे समय तक भारतवर्ष में रहीं और अपना शरीर त्याग भी भारतवर्ष में ही जैन परम्परानुसार किया। भारतवर्ष से जर्मनी में जाने वाले जैनों की संख्या अमेरिका, ब्रिटेन व कनाडा की तुलना में कम है। इसका मूल कारण यह यूरोप में जैनधर्म :: 745 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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