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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यूरोप में जैनधर्म अजित कुमार जैन बैनाड़ी यूरोप में जैनधर्म के प्रसंग हमें यूनाइटेड किंगडम, वेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, इटली एवं ग्रीस से मिलते हैं। जो जैन लोग यूनाइटेड किंगडम में आज रह रहे हैं, उनमें से कुछ सीधे भारत से आये, और कुछ अफ्रीकन देशों के माध्यम से, पर खास बात यह है कि जो अफ्रीकन देशों से ब्रिटेन में आकर बसे, वे भी भारतीय मूल के हैं। स्वतन्त्रता के बाद आज लगभग 25 से 30 हजार की जनसंख्या भारतीय मूल के जैनों की यूनाइटेड किंगडम में है। इनमें से अधिकांश लोग लन्दन के आसपास रहते हैं और कुल जैन आबादी के लगभग 75 से 80 प्रतिशत के लोग पूर्वी अफ्रीका यथा- केन्या, युगांडा, तंजानिया आदि से होकर यहाँ आये और कुछ यमन से। शेष 20 प्रतिशत लोग सीधे भारत से यहाँ आये। कुल जैनों की जनसंख्या में अधिकांश श्वेताम्बर हैं, पर दिगम्बर भी कम नहीं हैं। श्वेताम्बरों में भी कुछ मूर्तिपूजक हैं और कुछ मूर्तिपूजक नहीं भी। ब्रिटेन के कुल जैनों की मातृभाषा प्रमुखतः गुजराती है और वे घर में गुजराती का ही प्रयोग करते हैं। लगभग 10 प्रतिशत ऐसे लोग भी हैं, जो मारवाड़ी, हिन्दी और पंजाबी मूल के हैं। यद्यपि इनके घरों में इनकी मातृभाषाएँ बोली जाती हैं, पर इनके उत्तराधिकारियों की गुजराती, हिन्दी आदि मातृभाषाएँ उस तरह समृद्ध नहीं है, जैसी कि पूर्व पीढ़ी के लोगों की। समस्त जैन यहाँ दो उत्सव साथ-साथ मनाते हैं। ये हैं-महावीर जयन्ती और पर्युषण पर्व। ___यूनाइटेड किंगडम में प्रमुखतः जैनों के चार निम्नांकित स्थान दर्शनीय हैं1. जैन सेन्टर, 32 आक्सफोर्ड स्ट्रीट, लीसेस्टर (एक मन्दिर एवं एक ऑडिटोरियम) 2. ओसवाल सेन्टर, नार्थाव, निकट पोर्ट्स बार (एक बड़ा ऑडिटोरियम एवं एक गृहचैत्यालय), 3. महावीर फाउंडेशन सेन्टर, केन्टन, मिडलसेक्स (एक गृह-चैत्यालय), 4. दिगम्बर सेन्टर, हैरो, मिडलसेक्स (एक मन्दिर)। उपर्युक्त के अलावा लीड्स के हिन्दू मन्दिर में, फैल्थम के जलाराम मन्दिर में एवं बम्बिले के हिन्दू मन्दिर में भी जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ दर्शन, पूजा के लिए उपलब्ध हैं। जैन समाज, मैनचेस्टर में भी जैन मन्दिर व केन्द्र निर्माण की प्रक्रिया में हैं। यूरोप के जैन लेखकों में प्रमुख हैं डॉ. पीटर फ्लूगल, डॉ. नटुभाई शाह, पॉल मेरिट, पॉल डन्डस, एवं डॉ. विनोद 744 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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