SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 741
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org दोनों तत्त्व आपस में शत्रु हैं, जिससे विचारों में भिन्नता व क्लेश अशन्ति बनी रहेगी । रसोईघर के ठीक सामने या पास में शौचालय नहीं होना चाहिए, अन्यथा हमारे द्वारा विसर्जित रोगाणु हमारे खाद्य-पदार्थों पर बैठकर रोगों की उत्पत्ति करा देंगे । रसोई घर में सेप्टिक टैंक, पानी की टंकी, गढ्ढा नही होना चाहिए, वरना महिलाओं को हड्डी और नसों में पीढ़ा बनी रहेगी । रसोईघर की दीवाल का रंग हल्का पीला, नारंगी अथवा सफेद रखें। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शयन कक्ष - शयन कक्ष घर का वह महत्त्वपूर्ण स्थान है, जहाँ सारे दिन की थकान आराम पाती है। निद्रा हर व्यक्ति व वनस्पति के लिए आवश्यक होती है। हम अपने जीवन का एक तिहाई समय शयनकक्ष में ही व्यतीत करते हैं। शयन करने की शैली का भी एक वैज्ञानिक आधार है। गलत विधि से किया गया शयन कुपच, ब्लड प्रेशर, तनाव, माइग्रेन आदि की वजह बन सकता है। अगर हम शयन करने से पूर्व कुछ बातों का ध्यान रखें, तो इन समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं। गृह-स्वामी का शयन कक्ष भूखंड के नैऋत्य में (SW) कोण पर बनाना चाहिए, क्योंकि यह स्थान स्थिर तथा आरामदायक होता है । यह कक्ष सभी कक्षों में बड़ा एवं उचित आकार-प्रकार की बनावट का होना चाहिए तथा ध्यान रहे कि पलंग लकड़ी का ही हो, क्योंकि, लकड़ी उष्ण एवं कोमल होने के साथ-साथ विद्युत की कुचालक भी होती है। शयनकक्ष में पलंग इस तरह लगाएँ कि लेटते समय पैर उत्तर दिशा या पश्चिम दिशा की ओर हों, लेकिन भूलकर भी पैर दक्षिण में न करें। मानव शरीर भी एक चुम्बक का प्रतिरूप है, जिसमें सिर उत्तरी ध्रुव का द्योतक माना गया है, जब हम सिर दक्षिण दिशा में रखते हैं, तो विपरीत ध्रुव होने से आकर्षण पैदा होता है और अच्छी गहरी निद्रा आती है। पलंग के ठीक सामने शौचालय का प्रवेश द्वार न हो तथा न ही पलंग के ऊपर बीम हो और न ही ओवरहैड टैंक हो, अन्यथा हार्ट अटैक जैसी बीमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है । अगर सम्भव हो, तो शौचालय (WC) का निर्माण शयनकक्ष के साथ न करें, क्योंकि यह नेगेटिविटी का प्रमुख केन्द्र है। प्राचीन वास्तुग्रन्थों में शौचालय की व्यवस्था का वर्णन कहीं नहीं है, जिससे सिद्ध होता है कि लोग शौच हेतु घर के बाहर जाया करते थे, परन्तु आज के परिवेश में यह सम्भव नहीं है । अतः कम-से- -कम अटैच शौचालय (WC) का निर्माण न कराएँ । 732 :: जैनधर्म परिचय शयन कक्ष में पलंग के समीप स्विच बोर्ड्स, टेबल लैंप, मोबाइल या कम्प्यूटर आदि न रखें, क्योंकि विद्युत् चुम्बकीय तरंगें कक्ष में फैल जाने से नींद एवं मन की एकाग्रता भंग हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। शयनकक्ष में For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy