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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृ. 211. आदिनाथ चरित्र के रचयिता (वि.सं 1474), जिनरत्नकोश, पृ. 28. 30. काव्यशिक्षा, भूमिका, पृ. 10. 31. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 121. 32. वही, पृ. 210. 33. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, खण्ड-4, पृ. 309. 34. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-5, पृ. 122. 35. जैन-सन्देश (शोधांक 2), 18 दिसम्बर, 1958, पृ. 79. 36. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-4, पृ. 31. 37. महावीर जयन्ती स्मारिका, अप्रैल, 1963, पृ. 95. 38. जैन सन्देश (शोधांक 2), 18 दिसम्बर, 1958, पृ. 79. 39. अलंकार-चिन्तामणि, 1/5. 40. अत्रोदाहरणं पूर्वपुराणादिसुभाषितम्। पुण्यपुरुषसंस्तोत्रपरं स्तोत्रमिदं ततः।। -अलंकार चिन्तामणि, 1/5. 41-44. काव्यानुशासन, वाग्भट, अलंकारतिलक-वृत्ति 45. श्री यतीन्द्रसूरि अभिनन्दन ग्रन्थ, 'मन्त्रीमण्डन और उनका गौरवशाली वंश', पृ. 128. 134. 46. पार्श्वनाथ-चरित, प्रशस्ति 47. आचार्यभावदेवेन प्राच्यशास्त्रमहोदधेः। आदाय साररत्नानि कृतो अलंकार-संग्रहः।। -काव्यालंकार सार-संग्रह, 8/8. 48. जैन साहित्य और इतिहास, नाथूराम प्रेमी, पृ. 395 का सन्दर्भ 49. जैन साहित्य और इतिहास, पृ. 396.. 50. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, खण्ड-4, पृ. 83. 51. द्रष्टव्य-जैन साहित्य और इतिहास, पृ. 396-397. 52. द्रष्टव्य-जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 67. 53. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 554. 54. कादम्बरी-टीका उत्तरार्द्ध की अन्तिम प्रशस्ति 55. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 554. 56. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 219. 57. कर्ता शतावधानानां विजेतोन्मत्तवादिनाम्। वेत्ता षडपि शास्त्राणामध्येता फारसीमपि।। -(भक्तामरस्तोत्रवृत्ति), भानुचन्द्रगणिचरित, पृ. 59. 58. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-5, पृ. 45. 59. संवत् 1703 वर्षे आश्विन शुदि 5 गुरो लिखितम्। – काव्यप्रकाश-खण्डन, पृ. 101। भानुचन्द्रगणि चरित संगृहीत काव्यप्रकाश खण्डन की प्रशस्ति में लेखनकाल संवत् 1722 लिखा है। -भानुचन्द्रगणि चरित, पृ. 62.. 60. भानुचन्द्रगणिचरित, इन्ट्रोडक्शन, पृ. 71-74. 61. अस्मत्कृतबृहट्टीकातो अवसेयः (पृ. 3) गुरुनाम्ना बृहट्टीकातः, पृ. 94. 62. काव्यप्रकाश-खण्डन-किंचित् प्रास्ताविक, पृ. 3. 620 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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