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पृ. 211.
आदिनाथ चरित्र के रचयिता (वि.सं 1474), जिनरत्नकोश, पृ. 28. 30. काव्यशिक्षा, भूमिका, पृ. 10. 31. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 121. 32. वही, पृ. 210. 33. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, खण्ड-4, पृ. 309. 34. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-5, पृ. 122. 35. जैन-सन्देश (शोधांक 2), 18 दिसम्बर, 1958, पृ. 79. 36. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-4, पृ. 31. 37. महावीर जयन्ती स्मारिका, अप्रैल, 1963, पृ. 95. 38. जैन सन्देश (शोधांक 2), 18 दिसम्बर, 1958, पृ. 79. 39. अलंकार-चिन्तामणि, 1/5. 40. अत्रोदाहरणं पूर्वपुराणादिसुभाषितम्।
पुण्यपुरुषसंस्तोत्रपरं स्तोत्रमिदं ततः।। -अलंकार चिन्तामणि, 1/5. 41-44. काव्यानुशासन, वाग्भट, अलंकारतिलक-वृत्ति
45. श्री यतीन्द्रसूरि अभिनन्दन ग्रन्थ, 'मन्त्रीमण्डन और उनका गौरवशाली वंश', पृ. 128. 134. 46. पार्श्वनाथ-चरित, प्रशस्ति 47. आचार्यभावदेवेन प्राच्यशास्त्रमहोदधेः।
आदाय साररत्नानि कृतो अलंकार-संग्रहः।। -काव्यालंकार सार-संग्रह, 8/8. 48. जैन साहित्य और इतिहास, नाथूराम प्रेमी, पृ. 395 का सन्दर्भ 49. जैन साहित्य और इतिहास, पृ. 396.. 50. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, खण्ड-4, पृ. 83. 51. द्रष्टव्य-जैन साहित्य और इतिहास, पृ. 396-397. 52. द्रष्टव्य-जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 67. 53. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 554. 54. कादम्बरी-टीका उत्तरार्द्ध की अन्तिम प्रशस्ति 55. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 554. 56. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 219. 57. कर्ता शतावधानानां विजेतोन्मत्तवादिनाम्।
वेत्ता षडपि शास्त्राणामध्येता फारसीमपि।। -(भक्तामरस्तोत्रवृत्ति), भानुचन्द्रगणिचरित,
पृ. 59. 58. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-5, पृ. 45. 59. संवत् 1703 वर्षे आश्विन शुदि 5 गुरो लिखितम्। – काव्यप्रकाश-खण्डन, पृ. 101।
भानुचन्द्रगणि चरित संगृहीत काव्यप्रकाश खण्डन की प्रशस्ति में लेखनकाल संवत् 1722 लिखा है।
-भानुचन्द्रगणि चरित, पृ. 62.. 60. भानुचन्द्रगणिचरित, इन्ट्रोडक्शन, पृ. 71-74. 61. अस्मत्कृतबृहट्टीकातो अवसेयः (पृ. 3) गुरुनाम्ना बृहट्टीकातः, पृ. 94. 62. काव्यप्रकाश-खण्डन-किंचित् प्रास्ताविक, पृ. 3.
620 :: जैनधर्म परिचय
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