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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कालों के नाम 1. सुषमा सुषमा 4 कोड़ा कोड़ी सागर 2. सुषमा स्थिति प्रमाण 3. सुषमा - दुषमा 2 कोड़ा कोड़ी सागर 5. दुषमा 3 कोड़ा कोड़ी सागर 4. दुषमा- सुषमा 42 हजार वर्षकम 1 को. 21 हजार वर्ष 2. सुषमा काल www. kobatirth.org आयु आदि में / अन्त में द्वीप 1. सुषमा - सुषमा 5 देव कुरु 3 पल्य 2 पल्य 2 पल्य 1 पल्य 1 पल्य 1 पूर्वकोटि 1 पूर्व कोटि 120 वर्ष 120 वर्ष 6. दुषमा - दुषमा 21 हजार 20 वर्ष वर्ष 20 वर्ष 15 वर्ष अवगाहना आदि में शरीर / अंत में 3 कोश 2 कोश 3. सुषमा - दुषमा 5 हैमवतक्षेत्र जघन्य 2 कोश 1 कोश 1 कोश 500 धनुष 500 धनुष 7 हाथ 7 हाथ 2 हाथ 2 हाथ 1 हाथ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का वर्ण 1 कोश 5 हैरण्यवत भोगभूमि 2000 धनुष उगतेसूर्य-जैसा पियंगुजैसा For Private And Personal Use Only पूर्ण-चन्द्र- 2 दिन बाद जैसा पाँचों वर्ण - यह वृद्धि और ह्रास षट्काल परिवर्तन भरत - ऐरावत क्षेत्रों के केवल आर्यखंडों में ही होते हैं, क्योंकि ये अनवस्थित हैं । अवस्थित भूमियाँ - भरत - ऐरावत के आर्यखंडों के सिवाय शेष भूमियाँ अवस्थित हैं; क्योंकि इनमें षट्काल परिवर्तन नहीं होता । 103 काल क्षेत्र भोगभूमि अवगाहना उत्तम 3 कोशसुवर्ण के 5 उत्तर कुरु भोगभूमि 6 हजार धनुष समान 5 हरिक्षेत्र 2 कोश शंख के 5 रम्यकक्षेत्र भोगभूमि 4 हजार धनुष समान मध्यम आहार शरीर का रंग 3 दिन बाद कान्ति-हीन बहुत बार 5 वर्ण धूम-वर्ण बारम्बार 1 दिन बाद आयु प्रतिदिन एक बार आहार 3 पल्योपम 3 दिन के | अन्तर से 2 पल्योपम 2 दिन के अन्तर से नीलकमल 1 पल्योपम 1 दिन के के समान अन्तर से भूगोल :: 537
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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