SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org श्रावकाचार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डॉ. श्रेयांस कुमार जैन आचार की दृष्टि से जैनधर्म के दो रूप दृष्टिगोचर होते हैं - अनगार अर्थात् मुनि-धर्म और सागार अर्थात् गृहस्थ - धर्म । सद्गृहस्थ की श्रावक संज्ञा है और उसके धर्म को श्रावक-धर्म भी कहा जाता है। श्रावक शब्द का सामान्य अर्थ श्रोता या सुनने वाला है। जो जिनेन्द्र भगवान के वचनों को एवं उनके अनुयायी गुरुओं के उपदेश को श्रद्धापूर्वक सावधानी से सुनता है, वह श्रावक है। कहा भी गया है अवाप्तदृष्ट्यादिविशुद्धसत्पत् परं समाचारमनुप्रभातम् । शृणोति यः साधुजनादतन्द्रस्तं श्रावकं प्राहुरमी जिनेन्द्राः ।। 1 अर्थात् सम्यग्दर्शन आदि विशुद्ध सम्पत्ति को प्राप्त जो व्यक्ति प्रातः काल से ही साधुजन से उनकी समाचार विधि को आलस्य रहित होकर सुनता है, जिनेन्द्र भगवन्तों ने उसे श्रावक कहा है । 'शृणोति गुर्वादिभ्यो धर्ममिति श्रावकः' अर्थात् जो श्रद्धापूर्वक गुरु आदि से धर्म श्रवण करता है, वह श्रावक है। श्रावक शब्द की एक निरुक्ति ऐसी भी प्राप्त होती है, जिसमें श्र, व और क वर्णों को क्रमशः श्रद्धा, विवेक और क्रिया का प्रतीक मानकर श्रद्धावान्, विवेकशील और क्रियाशील अर्थात् अणुव्रती गृहस्थ को श्रावक कहा है। अभिप्राय यह है कि जो श्रद्धालु जैनशासन को सुनता है, पात्र जनों में अर्थ को तुरन्त प्रदान करता है एवं सम्यग्दर्शन का वरण करता है तथा सुकृत् (पुण्य) करके संयम का आचरण करता है, वह श्रावक कहलाता है। व्रती गृहस्थ को श्रावक शब्द के अतिरिक्त विविध श्रावकाचारों में उपासक, सागार (आगारी), देशसंयमी (देशविरत / अणुव्रती) आदि नामों का उल्लेख हुआ है ! श्रावक ही एकदेशचारित्र का पालक होता है, इसके पाक्षिक, नैष्ठिक और साधक आदि ये तीन भेद हैं। जैनधर्म का पक्ष रखने वाला पाक्षिक श्रावक होता है, यह मूलगुणों श्रावकाचार :: 309 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy