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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वे पति के कार्यों में सहयोग देती हैं, यही उनका सबसे बड़ा योगदान है । भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैन महिलाएँ भी पीछे नहीं रहीं थीं । अहमदाबाद की कु. जयावती संघवी 1942 के आन्दोलन में शहीद हो गयीं थीं। 1930 की दांडी यात्रा में महिलाओं का नेतृत्व सरला देवी साराभाई ने किया था। अनेक महिलाएँ अत्यन्त विषम परिस्थितियों में भी जेल जाने से नहीं डरीं । अनेक ने परिवार को सँभाल कर तथा दूसरे परिवारों की सहायता कर आन्दोलन को सशक्त बनाया था । सुन्दरदेवी जैसी महिलाओं ने कविताओं के माध्यम से जन-जागृति पैदा की थी। अनेक महिलाओं ने अपने आभूषण उतार कर सहायतार्थ दे दिये थे । एक प्रवासी भारतीय डॉ. प्राणजीवन मेहता की पुत्री रमा बहिन और पुत्रवधू लीलावती बहिन आजाद हिन्द फौज में सम्मिलित हो गयी थीं। महाराष्ट्र की रणरागिणी राजमती पाटिल गोवा से रेल के साधारण डिब्बे में हथियार रखकर लाती थीं और अपने क्रान्तिकारी साथियों को देती थीं। यहाँ कुछ प्रमुख महिलाओं का नामोल्लेख किया जा रहा है। आगरा की श्रीमती अंगूरी देवी क्रान्तिकारी महिला के रूप में विख्यात थीं, ललितपुर की श्रीमती कमला देवी अपने पति क्रान्तिकारी पं. परमेष्ठी दास जी के साथ ही साबरमती जेल में बन्द रही थीं। सूरत की श्रीमती जयाबेन दांडी यात्रा में साथ गयीं थीं। इनके अतिरिक्त श्रीमती कमला जैन (अलवर), कमला सोहनराज जैन (कानपुर), श्रीमती केशर (ललितपुर), काँचन मुन्नालाल शाह (गुजरात), श्रीमती गंगादेवी (मुरादाबाद), श्रीमती गंगाबाई (कानपुर), श्रीमती गोविन्द देवी पटुआ (कलकत्ता), श्रीमती चमेलीबाई जैन (दिल्ली), श्रीमती ताराबाई कासलीवाल (उज्जैन), श्रीमती धनवती रांका (नागपुर), श्रीमती नन्हीबाई (जबलपुर), श्रीमती प्रभादेवी शाह (महाराष्ट्र), श्रीमती प्रेमकुमारी विशारद (कोटा), श्रीमती पुष्पादेवी कोटेचा (सूरत), श्रीमती फूल कुँवर चौरड़िया (नीमच), श्रीमती बयाबाई रामचन्द्र जैन (बर्धा), श्रीमती माणिक गौरी, श्रीमती राजूताई पाटिल (सांगली), श्रीमती लक्ष्मीदेवी (सहारनपुर), श्रीमती विद्यावती देवडिया (नागपुर), श्रीमती शीलवती जैन (बिजनौर), श्रीमती सज्जन देवी महनोत (उज्जैन), श्रीमती सरदार कुँवरबाई लूड़िया (अजमेर), श्रीमती सरस्वती देवी रांका (नागपुर) आर्यिका सरवतीबाई, पंडिता सुमतिबेन शहा आदि महिलाएँ जेल यात्री रही हैं। एक और महिला के उल्लेख के बिना यह लेख पूरा नहीं होगा । श्रीमती लेखबती जैन ( सहारनपुर - उ. प्र.) सारे हिन्दुस्तान में निर्वाचित पहली महिला सदस्या थीं, जो 1933 में पंजाब प्रान्तीय कौंसिल की सदस्या चुनी गयी थीं, वे जैन जाति की सरोजनी नायडू कही जाती थीं । स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैनों का योगदान :: 121 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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