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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सामने फाँसी दे दी गयी। वहाँ खड़े हुकुमचन्द जैन के भतीजे फकीरचन्द को जबरदस्ती पकड़ कर फाँसी के तख्ते पर लटका दिया गया। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए हुकुमचन्द के शव को भंगियों द्वारा दफनाया गया और बेग के शव को जला दिया गया। हुकुमचन्द जैन की स्मृति में हाँसी की नगर पालिका ने फाँसी स्थल पर 'अमर शहीद हुकुमचन्द पार्क' बनवाया है। जिसमें उनकी आदमकद मूर्ति लगी है। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में 1915-16, 1930-32 के आन्दोलन अति महत्त्वपूर्ण रहे हैं। 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन निर्णायक सिद्ध हुआ था। इन आन्दोलनों में जैन समाज के अनेक स्वतन्त्रता सैनानियों ने भाग लिया था तथा कुछ ने अपना बलिदान देकर आजादी का दीप प्रज्वलित किया था। 1915 में सोलापुर (महाराष्ट्र) के हुतात्मा मोतीचन्द शाह को आरा के महन्त की हत्या के आरोप में फाँसी पर लटका दिया गया था। फाँसी से पूर्व मोतीचन्द शाह ने खून से एक पत्र अपने मित्रों के नाम लिखा था। हुतात्मा मोतीचन्द्र शाह का जन्म 1890 ई. में सोलापुर (महाराष्ट्र) जिले के करंकब ग्राम में सेठ पदमसी शाह के घर हुआ। सुप्रसिद्ध जैन सन्त आचार्य समन्तभद्र जी महाराज अपनी बाल्यावस्था में देवचन्द के रूप में मोतीचन्द के साथी थे। मोतीचन्द देवचन्द आदि ने जयपुर में क्रान्तिकारी अर्जुनलाल सेठी के विद्यालय में क्रान्ति का पाठ पढ़ा। उस समय क्रान्तिकारी दल का कार्य अर्थाभाव से ठप्प होता जा रहा था। अत: मोतीचन्द एवं उनके कुछ साथी युवकों ने निमेज के महन्त का धन हस्तगत करने हेतु डाका डाला। धन तो नहीं मिला किन्तु महन्त की मृत्यु हो गयी। इस अपराध में मोतीचन्द को फाँसी की सजा सुनाई गयी। Who's who of Indian Martyrs Vol.1 page 234 के अनुसार मार्च 1915 में उन्हें फाँसी दे दी गयी। फाँसी के पूर्व मोतीचन्द का वजन देश के लिए शहादत प्राप्त करने की प्रसन्नता में कुछ पौंड बढ़ गया था। उन्होंने जिनदर्शन व सामायिक कर फाँसी के फंदे को गले लगाया था। ___1942 के आन्दोलन में मंडला (म.प्र.) के शहीद उदयचन्द जैन 19 वर्ष की अल्पवय में ही पुलिस की गोली लगने से 16 अगस्त, 1942 को वीरगति को प्राप्त हो गये। इसी प्रकार गढ़ाकोटा, जिला-सागर (म.प्र.) के शहीद साबूलाल बैसाखिया भी पुलिस की गोली लगने से 22 अगस्त को वीरगति को प्राप्त हुए। अहमदाबाद की कुमारी जयावती संघवी 5 अप्रैल, 1943 को आँसू गैस के प्रभाव से तथा अहमदाबाद के ही शहीद नाथालाल उर्फ नत्थालाल शाह 9 नवम्बर, 1943 को जेल में ही शहीद हो गये। इसी आन्दोलन में हातकणंगले जिला-सांगली (महाराष्ट्र) के शहीद अण्णा पत्रावले जेल से भागते हुए पुलिस की गोली से शहीद हो गये। सांगली के हाईस्कूल में उनका स्टेचू लगाया गया है। 1942 में ही इन्दौर के मगन लाल ओसवाल, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) के भूपाल अण्णाप्पा अष्णास्कुरे; जबलपुर (म.प्र.) के मुलायम चन्द जैन, स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैनों का योगदान :: 119 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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