________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir साविल्योगायल्यः / आद्याव्याख्याता // 6 // हिरण्यपाणिमूतये हिरण्मयौपाणीयस्य सहिण्यपा- अ. *णि:तम् ऊतये अबनायसवितारम् उपह्वयेआह्वायामि / किमिति / यत: सः सविता चेत्तासर्वार्थ, दृक् / महतीचदेवता पदंचस्थानं च ज्ञानक समुच्चयकारिणाम् // 10 / देवम्यचेतत: / देव* गर्गेदेिवस्य धीमहि // धियोयोन:प्प्रचोदयात् // 6 // हिरगण्यपाणि मृतये / सवितारमुप॑ह्वये // सचेत्तदिवापुदम् // 10 // देवस्युचेत / त // टेक्स्पचेततोमुहीम्सवितुर्हवामहे // सुमति सत्यराधसम् / // 11 // सुष्टुतिसुमतीबधः // सुष्टुतिसुमतीबधोगतिसवितुरौं / स्यदानादिगुणयुक्तस्य च तत: विराजमानस्य महोम्महतीम् प्रहवामहे आह्वयामि सवितुः संवन्धि-शिवम् नौं सुमतिकल्याणौंमतिम् / किंभूतांमतिम सत्यराधसम् अनश्वरधनाम् सत्यसाधयित्रौंवा // 11 // मुष्ट तिर्छ० सुमतीवृधः। सुष्ट तिंशोभनांस्तुतिम् सुमतीवृधः शोभनांमतिवईयतीति सुमतीहत् / 468 For Private And Personal