________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir सावाहृदय ग्रहणे नबुद्विरुक्ता / मनमोवा अतिटराणम्अतिहिंसितम् प्रवर्गाचरणेन / वृहस्पतिः मम ततधातु / अथवंहस्पत्यनुराहोतानाम / शन:सुखरूपोस्मकम् भवतु / भुवनसाभृतजातसाय:पतिः योधिपतिःप्रवर्ग्यरूपोयत्नः // 2 ॥भूर्भुवःस्वः यजूषि। तत्सवितुरिति कयाधातु // शन्नोभवतुभुवनस्युवस्प्पतिः // 2 // भूर्भुवः॥ भूर्भ वः // तत्सवितुर्वरेण्यम्भरौदेवस्य॑धीमहि // धियोयोनः प्रचोद। यात् // 3 // कर्यान // कानपिच्चुवऽआभुवदूतीसुदाधसा // काशचिष्ठयाबुता // 4 // कस्त्वा // सुत्योमदानाम्माहिष्ठोमत्म दन्धसः // हुढाचिदारुजेच // 5 // अभीषुणा // सखौनामविताज रितुणाम् // शुतम्भवास्यूतिभिः॥ 6 / / कयात्त्वम्॥ कयात्वन्नऽजु नस्तिस्रश्च व्याख्याता: / दृषिकृतीविशेषः // 3 // // 4 // 5 // 6 // कयात्त्वम् / गायत्री।। 72 ऐन्द्रीअनिरुक्ता / हेवन्द्र कयाऊत्त्या केनवागमनेन त्वम् नःअस्मान् अभिप्रमन्दसे अभिमो शिवम् For Private And Personal