________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir अनुक्षत्ता सारथ्य नुसारिणम् 11. // 11 // अथ चतुर्थे यूपे / भाय दार्वाहारं काष्ठानामाहर्तारम् 1. प्रभाय अग्न्येधम अग्निमेध मतोति मग्नेर्वधकम 2. वृध्नस्य विष्टपाय सूर्य लोकाय अभिषेक्तारम् 6. वर्षिष्ठाय नाकाय उत्कष्टस्वर्माय परिवेषणकर्तारम् 4. श्री देवलोकाय पेशितारम पिश अवयवे पिंगतोति पेशिता तम् प्रतिमाद्यवयवकर्तारम 5. मनुष्यलोकाय प्रकरिताम कृ विक्षेप विक्ष याविपालन्तेसेजपालमिर्रायैकोनाकोलालायसुराकारम्भदायर हुप श्रेयसेवित्तुधमाड्य'क्ष्यायानक्षत्तारम् // 11 // भायैदार्बाहा रम् // भायैदा|हारम्प्रभायाऽअग्न्युधम्नस्यष्टिायाभियुक्ता रंवषिष्टठायुनाकायपविष्टटारन्टेवलोकाय पेशितारम्मनुष्ष्यलो की कार्यप्रकरितारः सर्वेभ्योलोकेभ्य॑ऽउपसेक्तारमऽऋत्यैवधायो। / पमन्थुितारम्मेधायचास पल्यूलीम्प्रकामावरजयित्तीम् // 12 // शिवम् धारम 6. सर्वेभ्यो लोकेभ्यः उपरोक्तारमुपसेचनकर्तारम 7. अवऋतौ बधाय उपर्मान्यतारमुपमन्तुनकर्तारम् 8. मेधाय वासष ल्यूलीम् वाससां प्रक्षालनकतारम पल्प ल प्रक्षालनच्छेदनयोः... प्रकामाय रजयित्री वस्त्राणां रङ्गकारिणीं नारीम् 10 // 12 // For Private And Personal