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भाषांतर अध्ययन
॥४९९॥
| वर्तमान क्रियापदनो प्रयोग छे ते ते कालनी अपेक्षाथी करेल छे अर्थात् जे काळे नमिराजाने जातिस्मरण थयुं ते काळने यन सत्रम अनुलक्षीने वर्तमान काळनो प्रयोग करवामां आवेल छे. २ ॥४९९॥ सो देवलोगसरिसे । अंतेउर+वरगओवरे भोग ॥ भुजित नमीराया। बुद्धो भोगे"परिच्चयई ॥ ३॥
२६ मूलम्-(अंतेउरवरगो) अंतःपुरमा रहेला [सो] ते नमिराजा (देवलोगसरिसे) देवलोक जेवा (वरे) उत्तम एवा (भोए) भोगोने JI (जित्त) भोगवीने(बुदो प्रतिबोध पाम्या सता (नमिराया) नमि राजाए [भोगे) भोगोनो (परिचयइ) त्याग को. ॥३॥
स नमिराजा बुद्धी ज्ञाततत्वः सन, परित्यजति, किं कृत्वा? भोगान् भुक्त्वा, कथंभूतान् भोगान! वरान प्रधानान् सर्वेन्द्र पसौख्यदान, कीदृशः सन् ? बरे प्रधानेंतापुरे गतः सन् स्त्रीसमूहे प्राप्तः सन् , कीदशेतःपुरे? देवलोकसदृशे देवांगनासदृशे इत्यर्थः. भुक्तभोगस्य पुरुषस्य भोगा दुस्त्यजा इति हेतोभॊगान परित्यजतीत्युक्तं. ॥ ३॥ ___ अर्थ-ते नमिराजा बुद्ध ज्ञाततत्त्व-थइने बंधु परित्याग करे छे. केम करीने? वर=श्रेष्ठ सर्व इंद्रियोने सुख देनारा भोगो भोगवीने तेमज देवलोक सदृश देवांगना समान वरम्प्रधान अंतःपुरमा जइ-अर्थात् अप्सग जेवी राणीयोना मध्यमां विविध भोग भोगवीने ते भोगोनो परित्याग कर्यो. जेणे चिरकाळ मृधी भोग भोगव्या होय तेणे भोग त्याग दुष्कर थाय छे; पण नमिए भोग भोगवीने परित्यक्त कर्या तेथी तेणे ए दुष्कर कार्य कर्यु एबुं तात्पर्य छे. ३ मिहिलं सपुरजणवयं । बैलावरोहं च परियेणं सवं ॥ चिच्चा अभिनिक्खंतो। एंगंतमहिडिओ भयवं ॥४॥
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