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नुत्ता
न मुंबादेवसोकने चि० रहे पु. असंख्यातापूर्वक्षगे
तन् तेविमाननेविर्ष जथास्थानकें
जल्देवताना ||अ-३
एा ॥ नटूंकप्पेस चिवति ॥पुचावाससया बङ्ग ॥१५॥ तत्वनिच्चा जहागणं ॥ जह्म आनुवानो कर्य चुप च नन्नुपजे मान मनुष्यनी जी० योनी सेन्तेपुएयवंतजीप दस अंग जेने एबा खिन्नुपानी कठाके हि.सु धयेयके वीने
प्रतें
होय १५ भूमिका साधर वर्णादिक आनुरूए चुया निवेति माणसं जोणि ॥सेदसंगेनिजायइ ॥ १६॥ वित्तंवव हिरणं धनच पर पशु दार चाकर पोन्पुरुषए च० चार का काम खं बंध समूह तक तिहां से तेनु नपजे १५ मि मित्रवान होय वसी जिहां होय
ना ज्ञातिवान् । च। पसयो दास पोरुसं ॥चत्तारि कामरबंधाणि ।। तब सेनववई ॥ १७ ॥ मित्तवं ना होय न जुंचगोत्रनो होय ब शरीरना अच् रोगरहित म०महाप्रज्ञावंत अपिनीनहोय जन् यशोवंत होयबद लोग्लोग रूमावर्णवासोहोय होय
बसवंत होय १८ वीने यवंहोई॥ नच्चागोएय वसवं ॥ अप्पायंके महापन्ने॥अलिजाए जसो बसे॥१८ ॥लोच्चा
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