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|| मान्मनुष्यना लोगने अ. अनुपम अ० पूराभानुरखा पुत्र पूर्वत्मयने निदानरहित निर्मल शोत्मनिका केनिः केवलकलंकर अ४
भोगने . सुधी विधे धर्म पाल्यो ? अबो जीव हित जिनधर्मनाप्रति | माणुस्सए लोए॥ अप्पभिरूचे अहानयं ॥ पुत्वं विसुद्ध सहम्मे ॥ केवलं रूप बो बोध बीरपामीने ॥ १९॥ चयूर्वोक्त चार अंग पामचा संच संयमनेपपरिचर्जी अंगीका त० तकरी धु० टालंक
.लल जापान दुर्लन जाएीने
... रकरी रकरी
मरजने। बोहि बुझिया ॥१९॥ चतुरंगं असहं नच्चा ॥ संजमं परिवलिया ॥ तवसाधुयकम्म सेन्ने सिसिद्ध होय शाश्वतो
इ.इनि चतुरंगिया नामक त्रीजें अध्ययन संपूर्ण ॥३॥ अन्तुदीने . ..३० एम कुँ कऊंडं ॥२०॥
साधीन से ॥ सिडें हवई सासए तिबेमि॥ २० ॥ इति चतुरंगियतयां संमन्तं ॥ ॥ असंख ___जी० आनुघाने मा० मकर जजरावंत पुरुषनें ऊनि नानधी एएम ज न्हेजन पन्प्रमादी किंध्यत्मवि है प्रमाद त्रापासरा जाए।
चारगाविशेषे||३७ यं जीवियमापमायए जरोवणियस्स नचिताएं ॥ एवं वियागाहिजऐ पमन्ते किन्नुवि
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