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नल मा मनुष्यपए मा मनुष्यसंबंधी शरीर सपामीने सुरसा ध धर्मनो उर्बल जेजे सोक्सां प० अंगीकार ||
लसवो
ध र्मी लसीने करे. माएफस्सयं ॥३॥ माणुस्सं विग्गहं सधु ॥सुइ धम्मस्स दुनहा ॥जं सोचा पनिवऊंति न बारप्रकारना तपने खं समाने भात कदाच सच सांत्नसधूस पा सन् शुद्द पपरम दुर्लन सोसांत्न ने मोक्ष मार्गने' अदयाने
मीने सहद्दपा
लीने तवं स्वति महिंसयं ॥७॥ग्राहंच्च सवणं सह ॥सद्धापरमडुलहा ।। सोचा नेयाजुयंमन्ग बघपा जमाती प्रभुषने बसी सु० सूत्रधर्मसांलतीने तोपएसंयमनेविषे बन्धा रो रोचनायिकापणा नोप पत्नष्ट थायने
श्रद्धापरापर वीर्य फोरवई उर्सल . बहले परित्नस्सई॥॥ सइच सडसइंच ॥वीरियंपुग इनहं ।। बहवे रोयमाएाविनोय निवर्जेनहि अंगीकारमा मनुष्यपएामाँ पाठ आव्योपको जो ध धर्मनै सोक्ता ससर्दहै तन्तपसीसंयमनेविषे नद्या करेनहीं १०
जेजीव लले
पामीने एवं परिवाए॥१०॥माएफसत्तमि पाया॥जो धम्मं सोञ्च सद्दहे।तबस्सी बीरियंसह
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