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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नुत्ता तन्तपत्नइमहालडादिकने तपनुपनानिया प० प्रतिमा १२ साधूनी मास आदि एक ऐक्रयायें यमुटानेप. बन्ददमन ज्ञाननी श्रावरए रायताएअर ३. || नसिद्धांतसंबंधीयाविषने आदरीने दर परिवर्जी आदर करीने तिचे विचरे जेमुजने ह वो ध्याएनदि ।।४।। तवोवहाणमादाय पमिमं परिवधन एवं पिपिहर मे उजमननिय टेई ५३ ।। एग नथीशियपरलोकल सब्धि २८ रूप दिपण नप अ अथिया मुंपवास सोचप्रभुष एड्वोलि सायु पू र्देजिन तीर्थकर | चांतरनी वांगा .. सीने नयी वांटा कप्टेंकरिशचेतस्यो लोगी नाचित ४४ पश्चिनांपरेसोए इद्विवावितवस्सिएगो अछुवा वंचिलमित्ति शलिस्कृनचिंतए ॥४॥ अनि महाविदेनीअपेक्षाए अन्अथवा नियनिनतीर्थकर मुम्भषाभूगे गीतारण एवीसाधु विनयै नहिं ५५ पूर्वेकह्याने २२ परिसहा हसे . एवो कामतायिका एगा अविकिपा अवा वित्तविस्सई।मुसंतेएवमाहंसुइइनिरकूनचितए ॥४५॥ एएपरिसहासवे का-काश्यपगोत्रजेनोएहवोमहावीर फरस्यो पीमयो किएो २२माहिले और देशकासेविषेगो जुइयोएनसेपरिसहअध्ययननोअर्यसबसपीकया तिपणे प्रवेद्यो प्रकाश्यो चरीप्रभुपें एहवो सुधा स्वामी जंबूमते कह परिसहसहेवाकमानेसार जीचोरंगीजीवनेऽस्मिपामयोनेकह।६३९ कासवेएंपवेश्याले निरकू नविहनिया पुचोके इकनाइतिबेमि ॥१६॥ आषाद लूलिआचार्ये पहिलो दर्शनपरिसहनसहियोतिमनकरवो पोजिमपरिसह सह्योतिमबीजे सड़िया २२ गरिमह. For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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