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नव-||अगासदेचे कधक मे. क. कल्याए असीधामा देता- पापापष्टि अ.अविनीत पु पुश्मी पार भाइ भान्नातनी||अर
. रेगे मुझने कारणी . का ... इश्मकरीमाने , नीपरे परेगुक्त अ-|| अकोसाय वहाय मे कलापमफसासंतो पावदिष्टित्तिमन्नई॥३८॥ पुत्तोमे नाइ नाइति. ऊने हिन साक्ने चिनिन शिष्यहोई पाक अधिनितहोए अपोताना अात्माने सिरयामण देतांयकां | करे ये का सिषामएने कल्याणकारीमाने ने पुनः . दासपणाने इमकरीने ३९०
... साझकल्याणमन्नई पावदिचिने अप्पारणं सासंदासित्तिमन्नई॥३९॥ नानकोपये आo आचार्यने अमात्मानेपणा न. नकोपर्व कु गुरुना घातनो न होई नहोइ तो. गुरुना बिड्नो ग० गवेष
करणहार
पहार॥४॥ नकोषए, आप्रियं अप्पाणंपिं: नकोवए बुधोवपाश्यं नसिया नसिया तोनगवेसए॥४॥ आ प्राचार्यनै कु० कोप्यंजाएगीने प० प्रतितकारी प. प्रसन्न विक जेमअनिने पंव बेहाय जोगीने व घोसे नहि पु० वषी अविनय
कलं एहश्मक पदपूर्ण ॥ १३ आयरियं कुविधेनचा पनिएणं पसायए विशविन पंजधिनमो वएधन पुणोत्तिय ४१
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