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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra त. इ० इमक १२ इ बि० नसो बेद्यो सनेह फ० नसो हरयो गो कीधी माथी आत्मा म ० से मुन पंकित मर- अ.१ एणे फ० नसे निपजान्यो संवरयोग सुरु भलो मनोगत ने साधुनो वेष जेनो तिरूपकित्ता ॥ सुबिन्ने सुहमेमने ॥ क० नली कीधी ए भोजन शाकादिक फ० नसीहस्थी एजमाने विषेशासा० सावद्य क सब भलो एहनो धनहस्यो इ० इमनकहे फ० समोपच्यो एघृतादिक घेवर भाषा बर्जेसाधु ३० इमनकहे सु० रुमो बेद्यो एपत्रशाकादिक क० जसे मूल घीसाकादिकनेविषे सनिहिए सुजद्वेति ॥ साव असानीपना मोदकादिक ॥ क. नसीमनोझ कन्या इत्यादिक प्रकारनी. www.kobatirth.org ३६ वद्यए मुणी ॥ ३६ ॥ बा. विनितने सन गुरु सिषामा देता का बासं ॥ समई Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० रतिपामे गुरु पं० विनितशिष्य सा० सिषामा ह० नदजातनाघोमाने व व लावतो असवार रतिपामे सास रमए पंकिए काह वहए ॥ सा० सर्व पाने गव गलियाघोकाने जेंम पेलावतां खुटाकरमारे च चपेटादे असवार बेद पामे ३१ मुऊने बे सुने || १२ खुकुयामे चामे ॥ द सासंतो ॥ गतियस्सववाहए॥३७॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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