________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमितिभवप्रपचा कथा। तयोतं पृच्छयतां तावद्धर्मबोधकरस्त्वया / कालेन विक्रियां याति सम्यगालोच्य यत् कृतम् // 11 // ततः सहैव सबुद्ध्या धर्मबोधकरान्तिके | गत्वा सर्वोऽपि वृत्तान्तस्तेन तस्मै निवेदितः // 12 // साधु माधु कतं भद्र धर्मबोधकरोऽब्रवीत् / केवलं निश्चयः कार्थी येन नो यामि हास्थताम् // 13 // मोऽवादौत् किमिदं नाथो भूयो भूयो विकथ्यते / एष मे निश्चयस्तस्मिन्बमनोऽपि प्रवर्तते // 14 // ततोऽशेषजनैः मार्द्ध पर्यालाच विचक्षणः / अत्याजयत्स तत्पात्रं सब्जलेः पर्यशोधयत् // 15 // महाकल्याणकस्याच्चैस्तत्पुनः पर्यपूरयत् / प्रमोदातिशयात्तत्र दिने वृद्धिमकारयत् // 16 // धर्मबोधकरोइष्टस्तद्दया प्रमदोद्धरा।। मबुद्धिर्वद्भुितानन्दा मुदितं राजमन्दिरम् // 17 // प्रवृत्तश्च जने वादो योऽयं राज्ञावलोकितः / धर्मबोधकरस्येष्टस्तद्दयापरिपालितः // 18 // मबुद्ध्याधिष्ठितो नित्यमपथ्यत्यागकारकः / भेषजत्रयसेवित्वाद्रो गोधैर्मुक्रकल्पकः // 16 // स नो निष्पुण्यकः किन्तु महात्मेष सपुण्यकः / ततस्तदेव संजातं नामास्येति सपुण्यकः // 20 // कुतः पुण्यविहीनानां सामग्री भवतीदृशौ। जन्मदारियभाग् नैव चक्रवर्तित्वभाजनम् // 21 // For Private And Personal Use Only