________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
1070
www.kobatirth.org
तुलसी शब्द-कोश
सीत : सं०वि०पु० (सं० शीत ) | ( १ )
शीतल, ठंडा । 'सुखद सीत रुचि चारु चिराना ।' मा० १.३६.६ (२) जाड़े की ऋतु = शिशिर । 'सीता सीत-निसा सम आई ।' मा० ५.३६.६
सीतल : वि० (सं० शीतल) । ठंडा, शीत लाने वाला । मा० १.१७.५ (२) ताप
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शामक ।
सीतलता : सं० स्त्री० (सं० शीतलता) । ( १ ) ठंडक । (२) तापशामकता । विन० ६०.२ (३) मानसिक तापहीनता, करुणा आदि की द्रवरूपता । ' सीतलता सरलता मयत्री ।' मा० ७.३८६
सीतल : सीतल + स्त्री० । ठंडी + तापहीन । 'तोहि देखि सीतलि भइ छाती ।' मा०
५.२७.८
सीतहि : सीता को । मा० ७.६७.४
सीताँ : सीता ने । दुइ सुत सुंदर सीतां जाए ।' मा० ७.२५.६
सीता : सं० स्त्री० (सं०) । (१) ब्रह्म राम की आदि शक्ति = महामाया; विश्व
प्रकृति, योगमाया । मा० १.१८ ( २ ) जानकी । मा० १.२५५ (३) (व्यञ्जना में - सं० शीता) जानकी + ठंडी (जड़ कर देने वाली ) । 'सीता सीतनिसा सम आई ।' मा० ५.३६.६
सीताब : (दे० बटु) गङ्गा तट पर एक वटवृक्ष जिसे सीता जी द्वारा लगाया कहा गया है । कवि० ७.१३८
सीतानाथ, पति, बर : रामचन्द्र । मा० २.२६६; २.४३३; ७.७८.४
सीताबरु : सीताबर + कए० । राम । विन० २०५.३
सीते : सीता + संबोधन (सं० ) । हे जानकी । 'सीते पुत्रि करसि जनि त्रासा ।'
मा० ३.२६.६
सीदत: वकृ०पु० । अवसादग्रस्त रहता ( रहते ) ; कष्ट पाता ( पाते ) । 'सीदत सुसेवक बचन मन काय के ।' हनु० ३१
सीदह : आ॰प्रब० (सं० सीदन्ति ) । अवसादग्रस्त रहते हैं; दुखी होते हैं, क्लेश पाते हैं । 'सीदह बिप्र धेनु सुर धरनी । ' मा० १.१२१.७
सीदें : सीदह । 'फलैं फूलै फैले खल, सीदें साधु पल पल ।' कवि० ७.१७१ सीद्यमान : वि०पुं० (सं० ) । अवसादग्रस्त । 'लोग सीद्यमान सोचबस ।' कवि०
७.६७
सीधी : (दे० सिद्ध) ए० । सीधा = पकाने से पूर्व सूखा दाल, चावल आदि । 'पान पकवान बिधि नाना के, संधानो, सीधो, बिबिध बिधान धान बरत खारहीं ।' कवि० ५.२३
सीप : (१) सं० स्त्री० (सं० शुक्ति > प्रा० सुत्ती = सिप्पी > अ० सिप्पि ) । सीपी | मा० १.११७ (२) (सं० सीप) नौकाकार पात्र विशेष ।
For Private and Personal Use Only